छत्तीसगढ़ के जगदलपुर-तेलंगाना बॉर्डर पर स्थित कर्रेगुट्टा की पहाड़ी के टॉप पर पहुंचने पर जवानों को नौ दिन लग गए। पांच हजार फीट की खड़ी चढ़ाई पर जवान रात-दिन चढ़ते रहे। 280 किमी के दायरे में फैली पहाड़ी के एक अहम हिस्से पर अब फोर्स का कब्जा हो चुका है। इसी हिस्से से नक्सली अपने संगठन को ऑपरेट किया करते थे।
जवानों ने हथियार लहारते हुए मनाया जश्न
अब यहां फोर्स पहुंच चुकी है और कहा जा रहा है कि फोर्स यहां पर रणनीति के तहत एक अस्थाई कैंप स्थापित करने की भी तैयारी में है। पहाड़ की चोटी पर पहुंचने के बाद जवानों ने तिरंगा और हथियार लहराते हुए विक्ट्री साइन दिखाया। जवानों का पहाड़ी के टॉप पर पहुंचना आसान नहीं था क्योंकि 44 डिग्री तापमान में लगातार जवान डिहाइड्रेड हो रहे थे। इसके बावजूद जवानों का हौसला कम नहीं हुआ और वे पहाड़ के टॉप पर पहुंच गए।
लड़ाई पहाड़ी को नक्सल संगठन से मुक्त करने की
पहाड़ी हिड़मा, देवा, दामोदर, विकास, सुजाता, आजाद जैसे बड़े हार्डकोर नक्सलियों का ठिकाना है। यहां एके 47, इंसास, एलएमजी जैसे आधुनिक हथियारों से लैस करीब 1500 से 2000 नक्सलियों की मौजूदगी बताई जा रही है। बस्तर के डीआरजी,कोबरा, बस्तर फाइटर्स के 10 हजार से ज्यादा जवान ऑपरेशन पर निकले हैं। बताया जा रहा है कि तेलंगाना के जवान इस ऑपरेशन में शामिल नहीं है। वहां से सिर्फ केंद्र के निर्देश पर सीआरपीएफ के जवान ऑपरेशन का हिस्सा बन रहे हैं।
पहाड़ी इतनी बड़ी कि नक्सली दूसरे हिस्से की तरफ शिफ्ट
कर्रेगुट्टा पहाड़ी छत्तीसगढ़ से तेलंगाना और महाराष्ट्र तक 280 किमी के दायरे में फैली हुई है। कर्रेगुट्टा, दुर्गमगुट्टा, पुजारी कांकेर तक पहाड़ी का दायरा है। बताया जा रहा है कि जब ऑपरेशन शुरू हुआ तो टॉप नक्सल लीडर और उनके लड़ाके सेफ रास्ते का इस्तेमाल कर तेलंगाना की तरफ चले गए हैं। कहा जा रहा है कि हिड़मा, दामोदर और आजाद जैसे नक्सली अब पहाड़ पर मौजूद नहीं हैं।