मेडिकल कॉलेजों के पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स एमडी-एमएस में प्रवेश के लिए नीट पीजी 15 जून को होगी। इससे पहले नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) सरकारी व निजी कॉलेजों का निरीक्षण करेगा। प्रदेश में 6 सरकारी व 3 निजी मेडिकल कॉलेजों में पीजी की 502 सीटें हैं।सरकारी कॉलेजों में आधी सीटें ऑल इंडिया के लिए होती हैं। वहीं निजी में स्टेट, मैनेजमेंट व एनआरआई के लिए सीट आरक्षित है। प्रदेश में अगले सत्र में पीजी की 25 से ज्यादा सीटें बढ़ने की संभावना है। इसका फायदा नीट पीजी की तैयारी कर रहे छात्रों को होगा। प्रदेश से ज्यादा स्पेशलिस्ट डॉक्टर बनकर निकलेंगे।
राज्य शासन से अनुमति व विवि से एफिलिएशन मिलने के बाद अब एनएमसी की टीम निरीक्षण के लिए आएगी। पीजी कोर्स शुरू करने के लिए पहली बार सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों को राज्य शासन की मंजूरी की जरूरत पड़ रही है। पहले पीजी के लिए यह नियम नहीं था। हैल्थ साइंस विवि के एफिलिएशन व एनएमसी की मान्यता के बाद पीजी कोर्स शुरू हो जाता था। पिछले साल भी नीट पीजी जून में हुई थी।
NEET PG 2025: दरअसल पीजी छात्र यानी जूनियर डॉक्टर किसी भी अस्पताल की रीढ़ होते हैं। ये कंसल्टेंट डॉक्टरों को इलाज से लेकर सर्जरी में मदद करते हैं। इसलिए पीजी छात्र महत्वपूर्ण है। पीजी सीटों को राज्य सरकार से मंजूरी व हैल्थ साइंस विवि से एफिलिएशन जरूरी है। नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर में सबसे ज्यादा 150 सीटें हैं। नए सत्र से तीन सरकारी व एक निजी कॉलेज में पीजी की सीटें बढ़ने की संभावना है। सीट चाहे सरकारी में बढ़े या निजी कॉलेज में, फायदा छात्रों को ही होना है।एमडी-एमएस करने के बाद बन जाते हैं विशेषज्ञ डॉक्टर
एमडी व एमएस डिग्री के बाद एमबीबीएस पास डॉक्टर विशेषज्ञ डॉक्टर बन जाते हैं। मेडिसिन, ऑब्स एंड गायनी, पीडियाट्रिक, जनरल सर्जरी, रेडियोथैरेपी, चेस्ट, स्किन, साइकेट्री, ऑर्थोपीडिक्स, ईएनटी, ऑप्थेलमोलॉजी में एमडी-एमएस की डिग्री मिलती है। वहीं रेडियो डायग्नोसिस, पैथोलॉजी, माइक्रो बायोलॉजी व बायो केमेस्ट्री में एमडी पास डॉक्टर सोनोग्राफी विशेषज्ञ से ब्लड जांच विशेषज्ञ बनते हैं।
सीटें बढ़ने का सबसे बड़ा असर ये होगा कि कट ऑफ मार्क्स गिर जाएगा। इससे कम नंबर वाले छात्रों को प्रवेश का मौका मिलेगा। पीजी में प्रवेश के लिए इंस्टीट्यूशन डोमिसाइल जरूरी है। यानी प्रदेश के कॉलेज में एमबीबीएस करने वाला ही पीजी में प्रवेश के लिए पात्र है।
निजी कॉलेजों की 48 एमडी सीटें लैप्स, सरकारी पैक
एनएमसी ने नियम बदला तो सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 2024-25 में नॉन क्लीनिकल की सभी सीटें पैक हो गईं। वहीं निजी कॉलेजों में 48 सीटें लैप्स हो गई हैं। ये सीटें एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायो केमेस्ट्री व फार्माकोलॉजी की हैं। पिछले 13 सालों के ट्रेंड के अनुसार सरकारी कॉलेजों में भी नॉन क्लीनिकल विभागों की आधी सीटें खाली रह जाती थीं।
निजी कॉलेजों में छात्रों ने च्वाइस फिलिंग ही नहीं की। ये इसलिए कि अगर वे च्वाइस फिलिंग करते तो प्रवेश लेना अनिवार्य हो जाता। दरअसल एनएमसी ने सीट आवंटन के बाद प्रवेश लेना अनिवार्य कर दिया है। ऐसा नहीं करने पर छात्र नीट पीजी के लिए अपात्र हो जाता। इससे वे पीजी नहीं कर पाते।