पांडुका सिंचाई विभाग मशीन से कराया मनरेगा कार्य

Chhattisgarh Crimes

गरियाबंद। राज्य शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के निवासियों को रोजगार देने की उद्देध्य से मनरेगा योजना लागू किया गया है, ताकि ग्रामीण क्षेत्र के विकास कार्यो के माध्यम से उन्नति हो वही उन्ही कार्यों के माध्यम से लोगो को रोजगार भी मिले और उन्हें रोजगार की तकाश में पलायन कर अन्य राज्यो में भटकना न पड़े। लेकिन कुछ विभाग के गैर जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी के कारण राज्य शासन की योजना ग्रामों तक पहुंच तो रहा है, लेकिन उन कार्यों में न तो विकास दिख रहा है और न ही लोगों को रोजगार मिल रहा है, ऐसा ही एक कार्य छूरा ब्लाक के ग्राम फुलझर पंचायत पांडुका सिंचाई विभाग और एक ठेकेदार की लापरवाही के चलते लाखो रुपये के मनरेगा कार्य मे किसी भी मजदूर को मजदूरी नसीब नही हुई।

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जिला पंचायत के फरमान को किये नजरअंदाज

ज्ञात हो कि जिला पंचायत के द्वारा गरियाबंद जिले के हर पंचायत को लिखित में निर्देश दिया गया है कि जिले के हर पंचायत में महिला प्रतिनधि या महिला कर्मचारी के परिवार के कोई भी पुरुष वहां के कार्यो में किसी भी तरह से हस्तक्षेप नही करेंगे। ये फरमान जिला प्रशासन द्वारा इस लिए किया गया था की पंचायत क्षेत्र में महिलाओ को आरक्षण प्रदान किया गया है और उन आरक्षित जगहों में मतदाता उन महिला प्रतिनिधियो को चुनकर उस कुर्सी तक पहुचाए है, ताकि उन महिला प्रतिनिधियों को अपनी जिम्मेदारी खुद उठानी है और समाज के विकास में पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना है। लेकिन जिन पंचायतों में महिला प्रतिनिधि चुने गए है वहा वे महिला प्रतिनिधियो से ज्यादा उनके पति या अन्य पुरुष रिश्तेदारों की ज्यादा चलती है इसका उदाहरण ग्राम पंचायत फुलझर में देखने को मिला जहां मनरेगा कार्य को ग्राम पंचायत फुलझर के सरपंच सुनीति ध्रुव का पति रमेश ध्रुव लेकर आया और महिला सरपंच की जानकारी में तक नही है।

पांडुका सिंचाई विभाग के मनरेगा कार्य हुआ मशीन से

पांडुका सिंचाई विभाग के द्वारा सिंचाई विभाग के ही बोलडा नाला बांध में मनरेगा के तहत लगभग 14 लाख रुपये का सफाई और मुरम बिछाई का कार्य स्वीकृत किया गया, इस कार्य को ग्राम मुरमुरा के एक ठेकेदार रेखुसाहू के द्वारा बगैर पंचायत को जानकारी दिए और न ही किसी मजदूर को रोजी में बुलाए बगैर जेसीबी मशीन व ट्रेक्टर के माध्यम से करा दिया गया, साथ ही बिना रॉयल्टी दिए अवैध रूप से मुरम भी खोदकर बांध के मेड में डलवा दिया गया, इस बात की जानकारी मीडिया को होते ही मौका निरीक्षण किया गया तो देखा गया कि बांध की सफाई और मुरम बिछाई का कार्य किया जा चुका है लेकिन ग्रामीणों ने बताया कि न तो उक्त कार्य मे मजदूरों को बुलाया गया है और न ही किसी ग्रामीण को इस कार्य की जानकारी नही है। वही पांडुका सिचाई विभाग के एसडीओ एल डी साहू से पूछे जाने पर उन्हीने बताया कि उक्त बोलडा बांध में सफाई और मुरम बिछाई के लिए मनरेगा के तहत राशि स्वीकृत किया गया है जिसका कार्य एजेंसी फुलझर पंचायत को बनाया गया है उस कार्य को सरपंच पति रमेश ध्रुव के साथ एक ब्यक्ति आया था उसे दे दिया गया है। यहां यह बताना लाजिमी है कि वही सरपंच पति रमेश ध्रुव शाम के समय कार्य के लिए उस व्यक्ति के साथ सिंचाई विभाग आया और उस कार्य को करने की स्वीकृति सिचाई विभाग द्वारा दे दिया गया, लेकिन वो कार्य करने वाला ब्यक्ति कौन है ये एसडीओ को मालूम भी नहीं है।

वही सिंचाई विभाग के जिम्मेदार अधिकारी एक सरपंच पति को काम करने का आदेश कैसे दे दिया शायद यहां पर कोई अंदर की बात हो। वही दूसरी तरफ सरपंच पति को किसी भी पंचायत कार्य में हस्तक्षेप नही करने का निर्देश दिया गया है तो दूसरी तरफ सिंचाई विभाग के जुम्मेदार अधिकारी सरपंच पति को कार्य दे देते है। साथ ही विभागीय जानकारी के अनुसार मनरेगा कार्य किये ब्यक्ति का भाई सिंचाई विभाग में कार्यरत है शायद उनके एप्रोच से इस कार्य को दिया गया हो ये जांच का विषय है। और इसे उस विभाग के अधिकारी की मिलिभगत को दर्शाता है।

इस मनरेगा कार्य की जानकारी पंचायत को नही

सिंचाई विभाग द्वारा मनरेगा के तहत स्वीकृत सफाई और मुरम बिछाई कार्य जिसकी एजेंसी ग्राम पंचायत को माना जा रहा है उस कार्य को एक ब्यक्ति सरपंच पति रमेश ध्रुव के साथ जाकर वर्क आर्डर ले आता है और मनरेगा कार्य को मशीन से करवा लेता है उसकी जानकारी पंचायत के सरपंच, पंच, सचिव या रोजगार सहायक को होती भी नही है ये एक आश्चर्यजनक बात लोगो को लगेगा। यहां इस कार्य के बारे में ग्राम पंचायत फुलझर के सरपंच सुनीति ध्रुव से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ये कार्य मुरमुरा ग्राम के रेखुसाहू के द्वारा किया गया है लेकिन किस मद से हुआ और कब हुआ इसकी जानकारी नही है जबकि सिंचाई विभाग के एसडीओ एल डी साहू से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कार्य एजेंसी पंचायत को बनाया गया गया, लेकिन फुलझर पंचायत में इस कार्य के विषय मे किसी को जानकारी नही है। जबकि मनरेगा के कार्य का देखरेख रोजगार सहायक द्वारा किया जाना है लेकिन रोजगार सहायक को भी इस कार्य की जानकारी नही है। इसकी जानकारी जनपद पंचायत छूरा को होने के बाद जनपद पंचायत से जांच समिति मौके पर पहुचे और जांच कर उन्होंने बताया की उस कार्य को ग्राम पंचायत के माध्यम से नही किये जाने की बात सरपंच द्वारा बताया गया है जिसमे और जांच किया जाना है।