जगदलपुर। इस वर्ष ऐतिहासिक बस्तर दशहरा का पर्व 75 दिन का नहीं बल्कि 107 दिन का होगा। इस महापर्व का शुभारंभ 17 जुलाई को सुबह 11 बजे मां दंतेश्वरी मंदिर के सामने पाट-जात्रा विधान के साथ होगा। इस पूजा विधान को पूरा करने के लिए शुक्रवार देर शाम को ग्राम बिलोरी के जंगल में साल के पेड़ का चयन कर पूजा-अर्चना कर काटा गया।
रथ निर्माण के औजारों के साथ पूजा कर बस्तर दशहरा का शुभारंभ
इस लकड़ी से रथ निर्माण के लिए बनाए जाने वाले औजार में हथौड़ा आदि बनाया जायेगा। जिसे मां दंतेश्वरी मंदिर जगदलपुर के सामने ग्रामीणों के द्वारा लाई गई साल की लकड़ी से बनाया जाएगा। जिसकी परंपरानुसार अन्य परंपरागत रथ निर्माण के औजारों के साथ पूजा कर बस्तर दशहरा का शुभारंभ किया जायेगा।
बस्तर दशहरा के प्रथम पूजा विधान पाट-जात्रा में बस्तर संभाग के जनप्रतिनिधि गणमान्य नागरिक, मांझी-चालकी, पुजारी, रावत एवं जन समुदाय शामिल होगा। वहीं रथ निर्माण करने वाले कारीगरों एवं ग्रामीणों के द्वारा मांझी चालाकी, मेंबरीन के साथ जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में पूजा विधान के साथ पाट जात्रा की रस्म होगी। इसके साथ ही बस्तर दशहरा के दो मंजिला रथ निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ हो जायेगी।
मां दंतेश्वरी मंदिर के मुख्य पुजारी कृष्ण पाढ़ी ने विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के विभिन्न पूजा विधानों की तिथिनुसार जानकारी दी। बस्तर दशहरा हरियाली अमावस्या 17 जुलाई को पाट-जात्रा पूजा विधान से प्रारंभ होकर मांई जी की विदाई पूजा विधान 31 अक्टूबर तक जारी रहने की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि यह पहला बस्तर दशहरा होगा, जो 107 दिन का होगा। क्यों हर साल यह बस्तर दशहरा 75 दिन का होता था, लेकिन इस साल अधिमास होने की वजह से एक माह अधिक हो रहा है। इसके चलते बस्तर का ऐतिहासिक दहशहरा महापर्व 107 दिन में संपंन होगा.