एम्स में 5 बेड वाला हाई डोज थैरेपी वार्ड शुरू किया गया है। प्रदेश में इस प्रकार की पहली सुविधा है और पीएमएसएसवाई योजना के तहत बनाया गया है। आयोडीन-131 थेरपी, जो इस हाई डोज़ थैरेपी में उपयोग की जाती है। बीटा रेज़ का उपयोग करके कैंसर के बचे हुए कोशिकाओं को खत्म करने में मदद करती है, जो सर्जरी के बाद बच जाती हैं।सफलतापूर्वक हुआ इलाज
यह रेडिएशन केवल थायरॉयड ग्रंथि और मेटास्टेटिक रोग पर लागू किया जाता है, जिससे शरीर के बाकी हिस्सों पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है। मार्च में पहली बार एक मरीज का सफलतापूर्वक इलाज किया गया। न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के प्रभारी डॉ. मुदालशा रवीना, डॉ. शोभना राजू, रेडिएशन सेटी ऑफिसर साई शिव नारायण ने मरीज का इलाज किया।कम दाम पर बेहतर इलाज
अब तक 8 मरीजों का इलाज किया जा चुका है। न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग राज्य में किसी भी सरकारी संस्थान में एकमात्र ऐसी सुविधा है। यह नई सुविधा छत्तीसगढ़ में थायरॉयड कैंसर मरीजों के लिए किफायती और विशेष उपचार प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एस के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. अशोक जिंदल ने कहा कि कम दाम पर बेहतर इलाज एम्स की पॉलिसी है।