
पुलिस के छापे के बाद से सेंटर भी बंद है। चौंकाने वाली बात है कि ये सेंटर आईबीसीसी के नाम से सेंटर चला रहे हैं, जबकि दस्तावेज ग्रैबिज़ फैशन(ओपीसी)प्राइवेट लिमिटेड ई-कॉर्मस कंपनी के नाम पर है। मूल कंपनी ग्रैबिज़ फैशन का कहीं भी बोर्ड तक नहीं लगा है।
यहां तक दस्तावेज में कहीं भी किसी तरह की ट्रेनिंग या पर्सनालिटी डवलप की ट्रेनिंग देने का जिक्र नहीं है। कंपनी यह भी नहीं बता पा रही है कि छत्तीसगढ़ में उनके वेबसाइट के यूजर्स कितने हैं? कितने लोग साइट से सामान खरीदते हैं? पुलिस ने पंजाब से कंपनी के मालिकों को बुलाया है लेकिन वे तीन दिन बाद भी नहीं पहुंचे हैं।
एक कमरे में चार-चार लोगों को रखा
कंपनी ने रायपुरा इंद्र प्रस्त इलाके में कई फ्लैट को किराए पर लिया है। वहां एक-एक रुम में चार-चार लोगों को रखा जाता है। उनसे दो-दो हजार रुपए किराए लेते हैं। लड़के-लड़कियां अपना भोजन खुद बनाती हैं। हर चीज की व्यवस्था खुद करते हैं। पहले उन्हें वेतन देने का झांसा दिया जाता है। उसके बाद प्रोडक्ट की सेलिंग में कमीशन का झांसा दिया जाता है।
ज्यादातर युवा रायपुर के बाहर के
पुलिस ने बताया कि सेंटर में जितने भी युवक-युवतियां मिले हैं। 90 फीसदी रायपुर के बाहर के हैं। नौकरी की उम्मीद पर यहां आए हैं। पुलिस ने उनके माता-पिता से भी संपर्क किया है। उन्हें भी नहीं पता है कि उनके बच्चे क्या काम करते हैं? उन्हें सिर्फ इतनी जानकारी है कि रायपुर में नौकरी करने गए हैं। यहां तक सेंटर को चलाने और ट्रेनिंग देने वाले राज्य के बाहर के लोग है।
10 हजार का सामान खरीदना जरूरी
सेंटर में जो भी युवक-युवतियां आती हैं, उन्हें 10 हजार रुपए ऑनलाइन जमा कराते हैं। झांसा दिया जाता है कि यहां कंपनी का 10 हजार रुपए का प्रोडक्ट खरीदना जरूरी है। लोग मजबूरी में खरीदते भी हैं। इसमें पेंट, शर्ट के अलावा जूते-सैंडिल, टाई, मेकअप का सामान सहित कई अन्य प्रोडक्ट उनके पैकेज में शामिल है।