शहर में रोज रात में 16 से 22 वार्डों में बिजली हो रही बंद, केबल जल रहे, ट्रांसफार्मर खराब

Chhattisgarh Crimesराजधानी का पारा जैसे-जैसे तेज होता जा रहा है शहर में रात में अंधेरा भी बढ़ रहा है। सप्लाई से ज्यादा डिमांड होने की वजह से शहर के 16 से 22 वार्डों में रोज कहीं न कहीं बिजली बंद हो रही है। दिनभर भले ही लोगों को ज्यादा परेशानी न हो, लेकिन रात में उन्हें जागना ही पड़ रहा है। किसी न किसी वार्ड में केबल जल रहे हैं या फिर ट्रांसफार्मर में आग लग रही है। इन्हें सुधारने के लिए आधे से एक घंटे का समय लगता ही है।

कई बार फाल्ट बड़ा होने पर रात के 3 से 4 तक बज रहे हैं। इस वजह से खासतौर पर बच्चे और बुजुर्गों को रातभर जागना पड़ रहा है। दरअसल रात में शहर के हर घर में एसी या कूलर चलते ही हैं। इसकी वजह से सप्लाई लाइन पर दबाव पड़ता है।

अधिकतर जगहों पर अवैध कनेक्शन और हुकिंग की वजह से केबल जल जाते हैं। इसे बनाने या बदलने में ही समय लगता है। अधिकतर बार ट्रांसफार्मर में लगे सर्किट के वायर जल जाते हैं। इसे बदलने के बाद बी बिजली सप्लाई सामान्य हो पाती है।

बिजली कंपनी के अनुसार अप्रैल में बिजली की डिमांड रात के समय 6835 मेगावॉट तक पहुंच चुकी है। यानी सामान्य से बेहद ज्यादा। अभी मई का पूरा महीना बाकी है। ऐसे में यह डिमांड बढ़कर दोगुना तक हो सकती है। घरों के साथ ही रात फैक्ट्रियां चलने की वजह से बिजली की खपत बढ़ रही है।

पिक आवर्स यानी रात के समय में डिमांड सबसे ज्यादा रहती है। रिहायशी इलाकों में बिजली की नियमित सप्लाई के लिए औद्योगिक इलाकों में बिजली में कटौती की जा रही है। इतना ही नहीं कृषि क्षेत्रों में भी बिजली की बढ़ गई है। रबी फसल को पानी देने लोग कृषि पंपों का उपयोग कर रहे हैं। इस वजह से भी बिजली की डिमांड बढ़ी हुई है।

फोन नहीं उठाते, आने में भी देरी शहर के सभी बिजली दफ्तरों के फोन रोजाना रात 12 बजे के बाद से ही घनघनाने लगते हैं। वार्डों से ज्यादातर बिजली बंद होने की ही शिकायत आती है। लोगों का कहना है कि बिजली दफ्तर वाले तो पहले फोन उठाने में ही समय लगाते हैं। अधिकतर बार कॉल करने में एंगेज टोन ही बताता है।

फोन में बात होने पर पहला जवाब यही होता है कि मेंटनेंस गैंग निकला हुआ है। अभी दूसरी जगह पर फाल्ट सुधार रहे हैं। वहां से फ्री होते ही आपके वार्ड में आ जाएंगे। ऐसे में लोगों को अंधेरे में उनके आने का इंतजार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है। कई बार ज्यादा देर होने पर लोग बिजली दफ्तरों में पहुंचकर हंगामा भी करते हैं।

केबल कट रहे, कटआउट खराब दैनिक भास्कर की पड़ताल में पता चला कि अधिकतर जगहों पर केबल कट रहे हैं। जहां ट्रांसफार्मर लगे हैं वहां के केबल रात में एकदम सुर्ख लाल रंग के हो जाते हैं। केबल के जलने से ट्रांसफार्मर में लगे कटआउट और सर्किट के वायर जल जाते हैं। इस तरह की समस्या को खत्म करने के लिए नए केबल और सर्किट लगाने की जरूरत है।

लेकिन मेंटेनेंस करने वाला गैंग जले हुए वायर को काटकर जोड़ देता है। सर्किट और कटआउट बदलने के बजाय उसके वायर को भी थोड़ा काटकर वापस जोड़ देते हैं। इस वजह से जैसे ही केबल पर सप्लाई का दबाव बढ़ता है वो फिर जल जाता है।

  • तेज गर्मी की वजह से प्रदेश में बिजली की खपत पहुंची 6835 मेगावॉट
  • रात में सबसे ज्यादा डिमांड, इस वजह से सप्लाई लाइन हो रही खराब
  • शिकायतें ज्यादा स्टाफ कम, स्थायी के बजाय टेंपररी सुधार रहे कर्मचारी
  • हर दिन किसी न किसी बिजली कंपनी के दफ्तर में लोग कर रहे प्रदर्शन

क्षमता है, फिर भी प्रोडक्शन नहीं कर रहे प्रदेश में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता 3370 मेगावाट की है। लेकिन अभी 2700 मेगावॉट के आसपास ही बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। बिजली कंपनी जितना उत्पादन कर रही है, उसके दोगुना इस समय बिजली की डिमांड है। इसके बावजूद प्रोडक्शन नहीं बढ़ाया जा रहा है। राज्य में बिजली की नियमित आपूर्ति के लिए पावर कंपनी दूसरे राज्यों से बिजली खरीद रही है। कभी-कभी तत्काल जरूरतों के लिए भी एक व्यवस्था रखी जाती है।