सरगुजा में शादी समारोहों में इस्तेमाल होने वाले एक घोड़े में ग्लैंडर्स के लक्षण मिले थे। उक्त घोड़े को दूसरे घोड़े के साथ रखा गया था। इन घोड़ों के ब्लड सैंपल जांच के लिए चार बार राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार भेजे गए थे, लेकिन इन रिपोर्ट में एक घोड़े की रिपोर्ट पॉजिटिव और दूसरे की नेगेटिव आई थी। पांचवीं बार भेजे गए दोनों सैंपल पॉजिटिव मिले हैं।
जहर देकर मारे जाएंगे घोड़े
नियमानुसार ग्लैंडर्स की पुष्टि तभी हो सकती है, जब दोनों रिपोर्ट पॉजिटिव आएं। अब दोनों घोड़ों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। प्रोटोकाल के तहत इन घोड़े को निर्धारित गाइडलाइन के अनुसार जहर देकर मारा जाएगा। इसके लिए कलेक्टर से अनुमति लेकर दोनों घोड़ों को शुक्रवार को मारने की तैयारी है।
प्रोटोकाल के तहत दोनों घोड़ों को पहले एनीस्थिसिया दिया जाएगा, फिर उन्हें जहर देकर मारा जाएगा और फिर उन्हें दफन किया जाएगा। घोड़ों के मालिक को आर्थिक सहायता दी जाएगी।
उत्तर छत्तीसगढ़ में पहली बार मिला संक्रमण
उत्तर छत्तीसगढ़ के घोड़ों में पहली बार इस बीमारी के लक्षण पाए गए हैं। सरगुजा में कुल 28 घोड़े हैं। संदिग्ध संक्रमित घोड़े को अंबिकापुर शहर में ही 2 अन्य घोड़ों के साथ रखा गया है। इन्हीं घोड़ों के साथ रहने वाले एक घोड़े की पहले मौत हो चुकी है।
वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. सीके मिश्रा ने बताया कि यह बीमारी “बर्कहोल्डरिया मैलेई” बैक्टीरिया से होती है। यह मनुष्यों सहित अन्य जानवरों में भी फैल सकती है। इससे इसकी गंभीरता और बढ़ जाती है। यह एक जूनोटिक बीमारी है, जिसका मतलब है कि यह जानवरों से मनुष्यों में फैल सकती है।
पाठ क्षेत्र में आज भी घोड़े का उपयोग
उत्तर छत्तीसगढ़ के पठारी क्षेत्रों के अलावा कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में रहने वाले लोग आज भी घोड़े पालते हैं। इनका उपयोग सामानों की ढुलाई के अलावा व्यक्तिगत आवाजाही के लिए भी किया जाता है। छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल मैनपाट में भी कुछ लोगों ने घोड़े रखे हैं। यहां पहुंचने वाले सैलानियों के लिए ये घोड़े आकर्षण के केंद्र होते हैं।
जबलपुर में हो चुकी है घोड़ों की मौत
मध्यप्रदेश के जबलपुर में अभी तक 10 घोड़ों की मौत हो चुकी है। यहां के भी दो घोड़ों के सैंपल हिसार भेजे गए थे, उनमें से एक की रिपोर्ट आने से पहले ही मौत हो गई थी जबकि दूसरे की रिपोर्ट के आधार पर वहां ग्लैंडर्स नियंत्रण प्रोटोकाल लागू किया गया है।
कलेक्टर की अनुमति लेकर मारेंगे घोड़ों को उप संचालक पशुपालन आरपी शुक्ला ने बताया कि दोनों घोड़े के सैंपल पांचवीं बार जांच के लिए भेजे गए थे। रिपोर्ट में ग्लैंडर्स की पुष्टि हुई है। निर्धारित एसओपी का अनुपालन किया जाएगा। यह एक संक्रामक बीमारी है।