पशुपालन विभाग के उप संचालक आरपी. शुक्ला के नेतृत्व में पशु चिकित्सकों का अमला और नगर निगम की टीम इंडस्ट्रीयल एरिया में अश्व पालक कमल धीवर के अस्तबल पहुंचे। दोनों घोड़ों को निगम की टीम भिट्ठीकला ले गई।
इस दौरान ग्लैंडर्स से पीड़ित घोड़े और घोड़ी को निर्धारित एसओपी के तहत पीपीई किट पहने चिकित्सकों ने पहले एनीस्थिसिया का इंजेक्शन दिया गया। दोनों बेहोश हो गए तो उन्हें जहर का इंजेक्शन देकर मार दिया गया। भिट्ठीकला में निगम ने पहले से तैयार गड्ढों में दोनों घोड़ों को दफनाया है।
ढाई लाख में घोड़े और घोड़ी को खरीदा था पालक
अश्व पालक कमल धीवर ने बताया कि एक घोड़ा और एक घोड़ी में ग्लैंडर्स का लक्षण मिला था। इनमें घोड़ी गर्भवती थी। वह एक सप्ताह के अंदर बच्चे देने वाली थी। उन्होंने घोड़ी को डेढ़ लाख रुपए और घोड़े को एक लाख रुपए में खरीदा था।
दोनों के ब्लड सैंपल पहले चार बार लिए गए थे। इस बार उन्हें बीमार बताकर इंजेक्शन दिया और ले गए हैं। पशुपालन विभाग के उप संचालक आरपी शुक्ला ने बताया कि पशु पालक को मुआवजा दिया जाएगा। इसके लिए प्रक्रिया पूरी होने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
सरगुजा में घोड़ों के आवागन पर बैन
सरगुजा जिले में घोड़ों, गधों और खच्चरों में पाई जाने वाली खतरनाक संक्रामक बीमारी ग्लैंडर्स की पुष्टि हुई है। शादी-विवाह में इस्तेमाल होने वाले दो घोड़े में ग्लैंडर्स के लक्षण मिले थे। इसके बाद अंबिकापुर नगर निगम क्षेत्र में 3 महीने तक अश्व प्रजाति के पशुओं के आवागमन पर प्रतिबंध लगाया गया है। राज्य सरकार ने इसके आदेश जारी किए हैं।