तंबाकू इसलिए है जानलेवा… 5 साल में 81 प्रतिशत मरीजों की मौत

Chhattisgarh Crimesतंबाकू व इससे बने उत्पाद सेहत के लिए जानलेवा है। पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज स्थित कैंसर रीजनल सेंटर में पिछले 5 साल में मुंह व गले के कैंसर के 81 फीसदी मरीजों की मौत हो गई। दोनों कैंसर के लिए तंबाकू व तंबाकूयुक्त चीजें जिम्मेदार हैं। पिछले 5 साल में 4624 मरीजों का इलाज हुआ, इनमें 885 यानी 19 प्रतिशत मरीज ही जीवित बचे हैं।

तंबाकू व इससे बने उत्पादों का सेवन बड़ा कारण

81 फीसदी मरीजों की बीमारी से जान चली गई। 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस है। मुंह व गले के कैंसर होने के प्रमुख कारणों में तंबाकू, तंबाकूयुक्त चीजों का सेवन व गुड़ाखू है। प्रदेश के कई हिस्सों में खासकर स्लम एरिया में बचपन तंबाकू खाने व गुड़ाखू करने में गुजर रहा है। (World No Tobacco Day) लंबे समय से इसके सेवन से ही मुंह व गले का कैंसर हो रहा है। ह्यूमन पेपीलोमा वायरस (एचपीवी) भी मुंह के कैंसर के लिए जिम्मेदार है।

हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों की हिस्ट्री पता करने से यह बात सामने आती है कि तंबाकू व इससे बने उत्पादों का सेवन बड़ा कारण है। झुग्गी बस्तियों में किशोरों में आहार नली के ऊपरी भाग यानी ओरोपैरिंग्स, गले व जीभ के पिछले हिस्से में कैंसर हो रहा है। आंबेडकर में कुल मरीजों में ऐसे बीमारों की संख्या 7 से 8 फीसदी है। ये किशोर दिन में 10 से 12 बार गुड़ाखू कर रहे हैं। ये आदत उन्हें बचपन से लगी है। 16-17 की उम्र तक वे कैंसर का शिकार हो रहे हैं।

तंबाकू खाने से गर्भवती महिलाएं भी प्रभावित

तंबाकू का सेवन गर्भवती महिलाओं व उनके बच्चों के लिए कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। सीनियर कैंसर सर्जन डॉ. युसूफ मेमन व हिमेटोलॉजिस्ट डॉ. विकास गोयल के अनुसार तंबाकू का सेवन करने से गर्भवती महिलाओं में गर्भावस्था की जटिलता, जन्म के समय कम वजन व मृत शिशु के जन्म का खतरा बढ़ जाता है। (World No Tobacco Day) तंबाकू का सेवन करने से बच्चों में जन्मजात दोष, सांस लेने संबंधी समस्याएं व शारीरिक विकास प्रभावित हो सकता है।

डॉ. विवेक चौधरी, डीन व सीनियर कैंसर विशेषज्ञ नेहरू मेडिकल कॉलेज: तंबाकू व तंबाकू से बने उत्पाद मुंह, गले व फेफड़े के कैंसर के लिए जिम्मेदार हैं। खासकर प्रदेश की झुग्गी बस्तियों में बच्चे बचपन से तंबाकू खाने व गुड़ाखू करने के शौकीन होते हैं। ये कैंसर के लिए भी जिम्मेदार हैं। माता-पिता को तंबाकू व इससे बने उत्पाद का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे बच्चों की भी आदत छूटेगी।

प्रदेश में कैंसर की स्थिति

मरीजों की संख्या 75 से 80 हजार 

हर साल 21 से 22 हजार नए मरीज 

तंबाकू के सेवन से मुंह कैंसर पैदा करने वाले पदार्थों (कार्सिनोजेंस) के संपर्क में आता है।

सिगरेट, सिगार, पाइप, चबाने वाला व सूंघने वाले तंबाकू से कैंसर का खतरा बढ़ता है। 

हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ता है और ब्रेन स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है। 

तंबाकू के धुएं में 5 हजार से अधिक रसायन होते हैं। इनमें से 70 से अधिक कैंसर पैदा करते हैं।

इन रसायनों में टार, कार्बन मोनोऑक्साइड व निकोटीन शामिल हैं।