शिक्षक ने शादी का झांसा देकर 12 साल तक किया दैहिक शोषण, महिला आयोग ने सुनाया ये फैसला

रायपुर। राज्य महिला आयोग में आज अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई हुई. इनमें से कई शासकीय कर्मचारियों के खिलाफ आई शिकायतों पर सुनवाई की गई, जिनमें कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने के लिए आयोग ने संबंधित विभागों को पत्र भेजे हैं.

आयोग की सुनवाई में एक प्रकरण में शासकीय शिक्षक ने 12 साल से शादी का झांसा देकर अवेदिका का शोषण किया था, जिसे अनावेदक ने आयोग के समक्ष स्वीकारा और परिवार वालों की सहमति से ही शादी करने की बात कहने लगा. आयोग ने सदस्यों के सहमति से पहले अवेदिका को FIR दर्ज करने को कहा और शासकीय सेवा समाप्त करने के लिए गरियाबंद जिला डीईओ को पत्र भेजने की अनुशंसा की. लेकिन अवेदिका को एकमुश्त 20 लाख रुपये मुआवजा देने पर सहमत होने पर सेवा समाप्ति पत्र रोक दिया गया और अगली सुनवाई में अनावेदक को 10 लाख का चेक और 10 लाख रुपये नगद लेकर उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया.

दूसरे दो प्रकरण में पटवारी और बिलासपुर के एक जेल कर्मी के खिलाफ सुनवाई हुई, जहां सेवा समाप्त करने के लिए संबंधित विभागों को तत्काल पत्र भेजा गया. पामगढ़ में पटवारी के पद पर पदस्थ शासकीय कर्मचारी ने अपने सर्विस बुक में पत्नी के स्थान पर किसी और का नाम दर्ज कर रखा था, जिससे बिना तलाक लिए दूसरी शादी की थी. वहीं जेल कर्मी ने अवेदिका के साथ 12 साल रहने के बाद बच्चा होने पर शादी की और अब दूसरी शादी भी कर रहा है. दोनों ही मामलों में लगातार महिला का शारीरिक शोषण करने, अपने शासकीय पद का दुरुपयोग करने पर आयोग ने शासकीय सेवा समाप्त करने विभागों के अधिकारियों को पत्र भेजा है. इसके अलावा डोंगरगांव के बीरगांव के प्रायमरी स्कूल में टीचर के भी एक प्रकरण पर सुनवाई हुई, जिसमें प्राइमरी टीचर ने दो पत्नियों से तलाक लेकर तीसरी शादी की थी. लेकिन अब तीसरी पत्नी को मार पीट कर घर से निकाल दिया और अपने पूर्व पत्नियों के साथ संबंध में रह रहा है, जो कि सिविल सेवा आचरण के खिलाफ है. आयोग की समझाइश पर अनावेदक ने आवेदिका को 20 हजार रुपये प्रति माह भरण-पोषण देना स्वीकारा जिसके लिए आयोग दल बी.ई.ओ और जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र भेजा जाएगा ताकि 20 हजार भरण पोषण की राशि अवेदिका के सीधे खाते में पहुंचे

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