- किसान मजदूर संघर्ष समिति, महिला अधिकार संघर्ष समिति एवं आदिवासी विकास परिषद द्वारा अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत दिवस पर कार्यक्रम आयोजित कर दी श्रद्धांजलि
पूरन मेश्राम। मैनपुर। देश के महान क्रांतिकारी शहीदे आजम भगत सिंह राजगुरु एवं सुखदेव की शहादत दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि देने पहली बार मैनपुर विकासखंड के राजापडा़व क्षेत्र के गौरेगांव में 23 मार्च को विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में 15 ग्राम पंचायतों के ग्रामीण हजारों की संख्या में शामिल हुए और सबसे पहले 1000 मोटर साइकिल से सैकडो युवाओ ने कचना धुर्वा बाजाघाटी पेंड्रा मे देवी देवताओं का पूजा अर्चना कर रैली के शक्ल मे 30 से 35 किलोमीटर दूर पक्की सड़क मार्ग होते हुए सीधे श्रद्धांजलि सभा स्थल गौरगांव पहुंचने से पहले ग्रामीणों को शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव द्वारा बताए रास्ते पर चलने का आह्वान किया। हल्की हल्की बारिश मानो ऐसा लग रहा था जैसे अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए फूलों की वर्षा आसमान से हो रहा हो।
तत्पश्चात विशाल श्रद्धांजलि सभा का आयोजन गौरगांव मे किया गया जहां सैकड़ों की संख्या में उदंती सीतानदी राजापड़ाव क्षेत्र के ग्रामीण शामिल होकर शहीद भगत सिंह ,राजगुरु और सुखदेव के सपनों एवं विचारों को पूरा करने की बात कही गई।
इस कार्यक्रम में किसान मजदूर संघर्ष समिति उदंती सीतानदी राजापड़ाव क्षेत्र,महिला अधिकार संघर्ष समिति,आदिवासी विकास परिषद जिला गरियाबंद से हजारों की संख्या में शहीदी दिवस मनाने के लिए ग्रामीण शामिल हुए।
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए सभी वक्ताओं ने अपने सारगर्भित विचारों में क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव द्वारा ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए बिगुल फूंक दिया था अपने जान के परवाह नहीं करते हुए मरते दम तक लगातार अन्याय शोषण अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी हमें वैसा ही बन कर शोषित पीड़ित वंचित समुदाय के लिए काम करना होगा जल जंगल जमीन एवं इज्जत से जीने के अधिकार को सैद्धांतिक तरीके से लेने का समय आ गया है।
हमें इससे पीछे नहीं हटना है।
आदिवासी मूलनिवासी के हितैषी कहने वाली सरकार आज तक मूल निवासी के हक अधिकार को नहीं दे पाई लगातार आदिवासी समुदाय अपने हक अधिकार के लिए सड़क की लड़ाई लड़ती है। इससे बड़ा दुर्भाग्य लोकतांत्रिक देश में क्या हो सकता है। आज पूरे देश के मूलनिवासी समुदाय परेशान हैं उनके हित के लिए बनाई गई कानून पर भी अमल नहीं होना हम क्या कहें किससे कहें हमारी हितैषी कौन है आज तक समझ में नहीं आई हम सबको सोचने की जरूरत है।
जल जंगल जमीन,इज्जत से जीने का अधिकार बुनियादी मांगों के लिए हमारी लड़ाई को और गति देने की जरूरत है। तालियों की गड़गड़ाहट के साथ वक्ताओं के विचारों को हजारो ग्रामीणों ने एक स्वर मे प्रस्ताव पारित किया गया।
अमर शहीदों के याद में हर वर्ष 23 मार्च को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन होने की बात भी कही गई है। आदिवासियों के आन बान शान अपनी पहचान सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आयोजन नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा सामूहिक रूप से प्रस्तुति दी गई। भूमकाल क्रांति सेना राजापडा़व के युवाओं ने कांकेर पहुंचकर समाजिक संगोष्ठी में शामिल होकर प्रशिक्षण लिए थे जिन्हें सभा में ही सम्मानित करते हुए भूमकाल क्रांति सेना के प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
श्रद्धांजलि सभा में प्रमुख रूप से जिला पंचायत सभापति श्रीमती लोकेश्वरी नेताम, कांग्रेस प्रदेश प्रतिनिधि शीला ठाकुर,जनपद सभापति घनश्याम मरकाम, दैनिक राम मंडावी, ईतवारी राम नेताम, श्रीराम मरकाम, श्रीमती कलाबाई नेताम, श्रीमती रमूला बाई मरकाम,श्रीमती कृष्णा बाई मरकाम, श्रीमती भान बाई नेताम, श्रीमती शैल साहू, श्रीमती सुनिती बाकुरे,दीनाचंद मरकाम, सखाराम मरकाम,सुनील कुमार मरकाम,टीकम नांगवंशी,अजय कुमार नेताम, कृष्ण कुमार नेताम चिमन नेताम,लोकेश कुमार सांडे,पुनीत मरकाम,दशरथ नेताम,भानू नेताम, महेश डोंगरे, बुद्धू राम मरकाम,तुलसी राम नेताम,लखन नेताम, हेमलाल नेताम सहित हजारों की संख्या में उदंती सीतानदी राजापड़ाव क्षेत्र से महिला पुरुष शामिल रहे।