इस साल 12 जून को पूर्णिमा पर गुरु तारा अस्त होने के कारण इस बार आषाढ़ माह (जुलाई) में विवाह नहीं होंगे। 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास शुरू हो जाएगा, इस दौरान विवाह पर रोक रहेगी। हालांकि इसके पहले 4 जुलाई को भड़लिया नवमी पर अबूझ मुहूर्त रहने के कारण इस दिन लोग विवाह समारोह होंगे। इसके बाद विवाह मुहूर्त 22 नवंबर से शुरू होंगे, जो केवल 4 दिसंबर तक ही रहेंगे।
15 दिसंबर से 14 जनवरी तक रहेगा खरमास
इस साल नवंबर में केवल पांच दिन और दिसंबर में सिर्फ एक ही दिन विवाह मुहूर्त रहने वाला है। 15 दिसंबर से 14 जनवरी,2026 तक खरमास होने की वजह से विवाह नहीं हो सकेंगे। विवाह मुहूर्त 15 दिसंबर से 4 फरवरी,2026 तक भी नहीं होंगे। अगले साल शुक्त्रस् ग्रह के उदित होने के बाद 5 फरवरी से मुहूर्त की शुरुआत होगी।
शुभ मुहूर्त के लिए गुरु-शुक्रका उदय जरूरी
शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यक्रमों के लिए ग्रह-नक्षत्र और सितारों की स्थिति का ध्यान रखा जाता है। मांगलिक कार्यक्रम में शुक्र और गुरु की स्थिति को देखकर ही मुहूर्त निश्चित किए जाते हैं। अगर शुक्र और गुरु दोनों ही तारे अस्त होते हैं तो शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यक्रमों के लिए मुहूर्त नहीं निकाला जाता।
हरिशयन काल में भी नहीं बजेगी शहनाई
6 जुलाई रविवार से आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी रविवार 2 नवंबर तक हरिशयन काल का समय रहने से शहनाई नहीं बजेगी। इसके चलते अगला शुभ व शुद्ध विवाह मुहूर्त फिर 22 नवंबर को पड़ेेगा।