फैसले के बाद भूपेश बघेल ने कहा- सत्यमेव जयते
छत्तीसगढ़ के सीडी कांड में 7 साल बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बड़ी राहत मिली है। सीबीआई की विशेष अदालत ने कहा कि भूपेश के खिलाफ मुकदमा चलाने का कोई आधार नहीं है। इसलिए अदालत ने उनके खिलाफ सभी धाराएं (आरोप) खारिज करते हुए इस मामले में उन्हें बरी कर दिया है। बाकी कारोबारी कैलाश मुरारका, पूर्व सीएम के सलाहकार विनोद वर्मा, विजय भाटिया और विजय पांड्या पर केस चलता रहेगा। उनके खिलाफ आरोप तय हो गए हैं। सुनवाई 4 अप्रैल को होगी।
कोर्ट रूम लाइव…
बघेल का तर्क: भाजपा सरकार की कार्रवाई पूर्व नियोजित, पहले ही आ गया था वीडियो, फिर FIR
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर से जबलपुर हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त ने पैरवी की। उन्होंने कहा कि भूपेश को झूठे मामले में फंसाया गया है। भूपेश ने न सीडी बनवाई और न ही बांटी। उन्होंने किसी तरह का कोई अपराध नहीं किया है। सरकार के पास सीडी पहले से आ चुकी थी, ये पूरा केस सरकार ने प्री-प्लान किया है।
तत्कालीन ओएसडी अरुण बिसेन घटना के पहले दिल्ली गए। वे दिल्ली के सहारा होटल में ठहरे हुए थे। जहां उन्होंने क्लिपिंग देखी। वहां से उन्होंने भाजपा नेता प्रकाश बजाज को फोन किया। बजाज ने रिपोर्ट लिखाने के पहले आखिरी बातचीत बिसेन से की थी। एफआईआर के 40 मिनट के भीतर ही पुलिस की टीम दिल्ली रवाना हो गई। वहां छापेमारी भी कर दी और विनोद वर्मा को पकड़ भी लिया। बचाव पक्ष के दूसरे वकील फैजल रिजवी ने कहा कि पूर्व में सीबीआई ने अपना पक्ष रखा था। शेष|पेज 8
ऐसे समझें क्रोनोलॉजी
26 अक्टूबर 2017 को भाजपा नेता प्रकाश बजाज ने पंडरी थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई। उसी रात दिल्ली में मौजूद पुलिस टीम छापा मारने पहुंची। इस दौरान एक कॉपी सेंटर एवं साइबर कैफे से अश्लील क्लिपिंग की सीडी जब्त की गई।
28 अक्टूबर को विनोद वर्मा को रायपुर कोर्ट में पेश किया गया। नवंबर में सरकार ने केस की सीबीआई जांच की सिफारिश। जांच शुरू। 28 दिसंबर को वर्मा को जमानत मिली।
6 जून को सीबीआई की पूछताछ के बाद आरोपी रिंकू खनूजा ने खुदकुशी कर ली।
25 सितंबर 2018 को चार्जशीट पेशह। इसमें बघेल समेत 6 आरोपी बनाए। इसी दिन भूपेश गिरफ्तार। तीन दिन जेल में रहे।
छत्तीसगढ़ की राजनीति का टर्निंग पॉइंट बना था कांड
सितंबर 2018 में सीडी कांड में तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल और विनोद वर्मा को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया, क्योंकि तीन महीने बाद ही विधानसभा चुनाव थे। भूपेश बघेल ने जमानत लेने से मना कर दिया था। यहीं से राजनीति में मोड़ आ गया। 15 साल से लगातार जीतती आ रही भाजपा के खिलाफ कांग्रेसी तख्ती लेकर निकल पड़े।
हर तख्ती पर लिखा था- मैं भी भूपेश। गांव-गांव, शहर-शहर में बड़े आंदोलन हुए। कुछ दिन बाद भूपेश जेल से छूटे। उसके बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 68 सीट जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया। ऐसा कहा गया कि भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस ने भाजपा सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में सफलता पाई। सीडी कांड में भूपेश के खिलाफ की गई कार्रवाई को तत्कालीन राजनीति में टर्निंग पॉइंट माना गया।