नवरात्रि में नवमी पूजा का क्या है महत्व? जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्र

TwitterWhatsAppCopy LinkTelegram

Chhattisgarh Crimes

नवरात्रि में महानवमी पूजा का विशेष महत्व है। आज चैत्र नवरात्रि का नौंवा दिन है। इस दिन देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। कमल पर विराजमान होने के कारण इन्हें मां कमला भी कहा जाता है। सिद्धिदात्री, नाम से ही स्पष्ट है सिद्धियों को देने वाली। कहते हैं इनकी पूजा से व्यक्ति को हर प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है। मां सिद्धिदात्री की पूजा से भक्तों की हर मुराद पूरी होती है। महानवमी के दिन कन्यापूजन भी किया जाता है। कहते हैं कि कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं।

मां सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व

मार्केण्डेय पुराण के अनुसार, अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, ईशित्व और वशित्व, कुल आठ सिद्धियां हैं, जो कि मां सिद्धिदात्री की पूजा से आसानी से प्राप्त की जा सकती है। देवी सिद्धिदात्री सुख समृद्धि और धन की प्रतीक हैं। कहा जाता है कि देवी सिद्धिदात्री में संसार की सारी शक्तियां हैं। देवी सिद्धिदात्री ने मधु और कैटभ नाम के राक्षसों के अत्याचार को समाप्त करके दुनिया का कल्याण किया था।

माना जाता है कि भगवान शिव ने भी मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही सिद्धियों को प्राप्त किया था और इन्हीं की कृपा से भगवान शिव अर्द्धनारीश्वर कहलाए। लिहाजा विशिष्ट सिद्धियों की प्राप्ति के लिये आज सिद्धिदात्री की पूजा अवश्य ही करनी चाहिए। साथ ही इस अति विशिष्ट मंत्र का 21 बार जप भी करना चाहिए।

मंत्र है- ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ऊँ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल, ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।’

महानवमी पूजा और कन्यापूजन शुभ मुहूर्त

नवमी तिथि आरंभ- रात 9 बजकर 07 मिनट से शुरू (29 मार्च 2023)
नवमी तिथि समापन- रात 11 बजकर 30 मिनट तक (30 मार्च 2023)
सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 6 बजकर14 मिनट (30 मार्च) से सुबह 6 बजकर 12 मिनट तक (31 मार्च, 2023)
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4 बजकर 41 मिनट से सुबह 5 बजकर 28 मिनट तक (30 मार्च 2023)
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक

महानवमी पूजा विधि
नवरात्रि के नौंवे दिन प्रात:काल उठकर स्नान कर साफ वस्त्र पहन लें।
इसके बाद मंदिर और पूरे घर में गंगा जल छिड़कर शुद्ध कर लें।
फिर आसन पर मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करें।
माता रानी को फूल, अक्षत, धूप और अगरबत्ती अर्पित करें।
देवी मां को रोली कुमकुम लगाएं और चुनरी भी चढ़ाएं।
मां दुर्गा को पांच तरह की मिठाई और फलों का भोग लगाएं।
देवी दुर्गा की आरती करें।
आरती के मंत्र और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

TwitterWhatsAppCopy LinkTelegram
Exit mobile version