200 साल बाद मकर राशि में 5 ग्रहों का दुर्लभ संयोग, 5 राजयोगों में मन रहा आज उत्तरायण पर्व, इन चीजों का करें दान

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आज सूर्य के मकर राशि में आने से मकर संक्रांति पर्व मनाया जा रहा है। इस बार मकर राशि में सूर्य के साथ चंद्रमा, बुध, गुरु और शनि भी हैं। इन पांच ग्रहों का योग पिछले 200 साल में नहीं बना। साथ ही आज पांच राजयोग बन रहे हैं। इनमें सूर्य का उत्तरायण होना बहुत शुभ माना जा रहा है।

मकर संक्रांति पर मंगल, शनि, बृहस्पति और चंद्रमा से रुचक, शश, गजकेसरी, दान और पर्वत नाम के राजयोग बन रहे हैं। इनमें तीर्थ स्नान, पूजा और दान करने से बहुत पुण्य मिलता है। इसके लिए सुबह 8:29 से शाम को सूर्यास्त तक पुण्यकाल रहेगा। मकर संक्रांति धार्मिक पर्व होने के साथ ही एक खगोलीय घटना भी है। जिससे धरती के उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य के आने से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं।

भूगोल से समझें मकर संक्रांति

मकर संक्रांति से ही सूर्य उत्तरायण हो जाता है यानी उत्तरी गोलार्ध में सूर्य 24 डिग्री आगे बढ़ चुका होता है। इस कारण धरती पर सूर्य का ज्यादा असर पड़ने लगता है। इससे दिन के घंटे बढ़ने लगते हैं। ज्योतिष ग्रंथों में मकर एक राशि है और एक काल्पनिक रेखा भी है। जो भूमध्य रेखा से करीब साढ़े 23 डिग्री उत्तर की और काल्पनिक रूप से मौजूद है।

जब सूर्य धनु से मकर राशि में आता है तो उसकी किरणें मकर रेखा पर सीधे गिरती हैं। इसलिए भारतीय उप महाद्वीप में दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। जिससे सूरज की किरणों से इन जगहों के लोगों में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और पेड़-पौधे भी जल्दी विकास करते हैं। ये ही वजह है कि इस मौसम में अनाज और धान उगता है।

साल में 12 संक्रांतियां, लेकिन 2 ही खास

ज्योतिष ग्रंथों में साल की दो ही संक्रांतियां खास मानी गई हैं। 14 जनवरी को जब सूर्य मकर राशि में आता है, तब मकर संक्रांति होती है। इस दिन सूर्य उत्तरायण हो जाता है। जो कि करीब 6 महीने रहता है। इसके बाद जब सूर्य कर्क राशि में जाता है तो कर्क संक्रांति होती है। इस समय सूर्य दक्षिणायन होता है यानी दक्षिणी गोलार्द्ध की ओर बढ़ने लगता है। इसलिए इन दो ही संक्रांति को महत्वपूर्ण माना गया है। इनके अलावा हर महीने जब सूर्य राशि बदलता है तो उस राशि के नाम के मुताबिक मेष, वृष मिथुन संक्रांति होती है। इस तरह साल में 12 संक्रांति होती है

रिश्तों के लिए खास

सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना, रिश्तों के लिए भी बहुत खास है। इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि मकर में आते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, सूर्य-शनि आपस में शत्रु हैं। फिर भी इस दिन जब सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में आते हैं तो उत्तरायण महापर्व होता है। जो कि देवताओं के दिन की शुरूआत माना जाता है। इसलिए इस पर्व पर पितरों के लिए किया गया श्राद्ध बहुत ही पुण्य देने वाला माना जाता है।

ज्योतिष: ग्रहों का देश पर असर

उत्तरायण पर्व पर मकर राशि में सूर्य सहित 5 ग्रहों के होने से देश की आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक स्थिति प्रभावित होगी। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के मुताबिक, लोगों की सेहत में सुधार होगा। महंगाई कम होने की संभावना है। अन्य देशों से भारत के संबंध मजबूत होंगे। देश में अनाज भंडारण भी बढ़ेगा। फसलें अच्छी होंगी।

देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और सेनाओं की ताकत बढ़ेगी। देश की व्यवस्थाएं सुधारने के लिए महत्वपूर्ण और बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। धर्म और शिक्षा से जुड़ी गतिविधियां बढ़ने के योग हैं। प्रशासनिक और राजनीतिक बड़े बदलाव होने की भी संभावना है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रभाव बढ़ेगा।

राहु- केतु के प्रकोप से बचाता है कम्बल दान

मकर संक्रांति पर कम्बल का दान बेहद शुभ माना जाता है। किसी जरूरतमंद को दिया गया काला और सफेद कम्बल का दान राहु-केतु के प्रकोप से बचाता है। इस दिन अधिक से अधिक लोगों को कम्बल का दान करना चाहिए।

पुराना सामान दान देने से बचें, ये खराब ग्रहों के द्योतक

महंत ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन पुराने कपड़ों, स्टील के बर्तन, लोहा और प्लास्टिक का दान नहीं करना चाहिए। यह खराब ग्रहों के घोतक हैं। किसी जरूरतमंद को नए कपड़े देना ही शुभ माना जाता है। नए कपड़े ही दान में देना चाहिए, ये करना शुभ होता है।

तिल, उड़द और चमड़े के दान से शनि दोष होता है दूर

महंत ने बताया कि शनि देव ने मकर संक्रांति के दिन अपने पिता सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए काले तिल से पूजा की थी। पिता – पुत्र में अनबन चल रही हो तो मकर संक्रांति पर सूर्य देव को तिल अर्पित करने से आपस के सम्बंध मधुर होते हैं। कला तिल, उड़द और चमड़े के जूते दान में देने से शनि दोष दूर होता है।

गुड़ और घी का दान गुरु दोष से बचाता है

इस बार मकर संक्रांति का पर्व गुरुवार को पड़ रहा है इसलिए गुड़ और घी के दान का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। गुड़ और घी के दान से बृहस्पति ग्रह के दोष दूर होते हैं। वहीं इस दिन चावल के दान का भी विशेष महत्व है। चावल के दान से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए इनका दान करना चाहिए।