झोपड़ी में आग लगने से 3 साल की बच्ची जिन्दा जली

Chhattisgarh Crimes

अंबिकापुर। जिले में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. कड़कड़ाती ठण्ड के बीच घास-फूस की झोपड़ी (झाले) में अचानक आग लग गयी. आगजनी की घटना में 3 साल की मासूम बच्ची की मौत हो गई.

जानकारी के मुताबिक, यह घटना सोमवार तड़के की है. कड़कड़ाती ठंड के बीच ग्राम जरहाडीह के डेढ़ोली कोरवा पारा में घास-फूस की झोपड़ी (झाले) में रतिराम कोरवा अपनी पत्नी और 3 वर्षीय बच्ची के साथ रहता था.

रात को खाना खाने के बाद पूरा परिवार सो गया. इसी बीच तड़के अचानक इस घास-फूस की झोपड़ी (झाले) में आग लग गई. आग की लपटें तेजी से फैलने लगी. ऐसे में जैसे-तैसे पति-पत्नी आनन-फानन में बाहर निकलने में कामयाब हो गए. लेकिन 3 साल की मासूम बच्ची को बाहर निकाल नहीं पाए. आग की तेज लपटों के बीच जलने से मासूम बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई.

दर्दनाक हादसे में मासूम की मौत से लोग सहम उठे. सुबह होते ही मासूम मृतिका के पिता ने नदी किनारे बालू में उसके शव को दफन कर दिया. वहीँ घटना की सूचना मिलते ही रघुनाथपुर पुलिस मौके पर पहुंची. घटनास्थल पर पहुंची पुलिस और तहसीलदार की उपस्थिति में शव को बाहर निकलवाया गया.इसके बाद डॉक्टर की मौजूदगी में शव का पोस्टमार्टम कराकर अंतिम संस्कार करने परिजन को सौंपा दिया गया.

रघुनाथपुर चौकी प्रभारी संदीप कौशिक ने बताया कि घटना की जानकारी लगते ही तहसीलदार की उपस्थिति में शव का पोस्टमार्टम कराया गया. पीएम रिपोर्ट आने के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी.

ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में पहाड़ी कोरवा सहित तकरीबन आधा दर्जन जनजातियां निवासरत हैं. इन जनजातियों को संरक्षित करने के लिए भारत के राष्ट्रपति ने इन्हें गोद लिया है और इन्हें राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी कहा जाता है. ऐसे में बड़ा सवाल यही उठता है कि आखिर कब इन जनजातियों की तकलीफों का अंत होगा?