हेल्थकेयर वर्कर्स, पुलिस, 50 साल से ज्यादा उम्र के प्रायरिटी में
नई दिल्ली। कोरोना वैक्सीन आने से पहले भारत में प्रायरिटी ग्रुप तय हो गया है। पहले फेज में 31 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। इनमें हेल्थकेयर वर्कर्स, पुलिस, 50 साल से ज्यादा उम्र के प्रायरिटी ग्रुप मेंबर और हाई रिस्क ग्रुप के युवा भी शामिल रहेंगे।
सरकार ने यह भी तय किया है कि आक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के दो डोज के ट्रायल्स से जो शुरूआती डेटा में दो फुल-शॉट से जो नतीजे आए हैं, उन पर ही विचार किया जाएगा। प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के. विजयराघवन के मुताबिक डॉ. वीके पॉल के नेतृत्व वाली नेशनल वैक्सीन कमेटी ने ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है कि किसे सबसे पहले वैक्सीन लगाई जाएगी। उन्होंने विज्ञान मंत्रालय और द कंफेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री की एक मीटिंग में बताया कि 31 करोड़ लोगों की पहचान कर ली गई है, जिन्हें मार्च से मई के बीच में वैक्सीन लगाई जाएगी। विजयराघवन ने कहा, हमारे देश में एक करोड़ हेल्थ वर्कर्स, राज्यों और केंद्र सरकार की पुलिस, आर्म्ड फोर्सेस, होमगार्ड्स, सिविल डिफेंस के 2 करोड़, 50 वर्ष से ज्यादा उम्र के प्रायरिटी ग्रुप के 26 करोड़ मेंबर्स और 50 वर्ष से कम उम्र के हाई रिस्क ग्रुप के 1 करोड़ मेंबर्स को सबसे पहले वैक्सीन लगाई जाएगी। इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन कह चुके हैं कि 2021 की पहली तिमाही से वैक्सीन लगाना शुरू होगा। 25 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने की तैयारी है। जुलाई तक 40-50 करोड़ डोज उपलब्ध हो जाएंगे।
यूके रेगुलेटर करेगा आक्सफोर्ड वैक्सीन के नतीजों की जांच
ब्रिटिश सरकार ने औपचारिक तरीके से देश के ड्रग रेगुलेटर को एस्ट्राजेनेका और आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन- कोवीशील्ड के फेज-3 नतीजों की जांच करने को कहा है। ट्रायल्स के शुरूआती नतीजों पर उठ रहे सवालों के बीच ब्रिटिश सरकार ने यह कदम उठाया है। इससे पहले यूके की सरकार ने मेडिकल रेगुलेटर को फाइजर की वैक्सीन की इफेक्टिवनेस की जांच करने के निर्देश भी दिए थे। ड्रग रेगुलेटर का कहना है कि सेफ्टी, क्वालिटी और एफिकेसी के मुद्दे पर मापदंडों पर खरी उतरने के बाद भी किसी वैक्सीन को मंजूरी दी जाएगी।
भारत में बनेगी रूस की वैक्सीन
रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड और भारत की दवा कंपनी हेटरो ने कोरोना की वैक्सीन तैयार करने के लिए करार किया है। यह करार भारत में हर साल 10 करोड़ डोज बनाने का है। प्रोडक्शन की शुरूआत अगले साल से होगी। वैक्सीन को रूस के गैमेलेया नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने बनाया है। वैक्सीन के तीसरे फेज के क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी मिल चुकी है। ये ट्रायल बेलारूस, यूएई, वेनेजुएला समेत कई देशों में चल रहे हैं। भारत में दूसरे और तीसरे फेज का ट्रायल जारी है। इस वैक्सीन के 120 करोड़ डोज बनाने के लिए 50 से ज्यादा देश रिक्वेस्ट कर चुके हैं। ग्लोबल मार्केट में सप्लाई के लिए वैक्सीन का प्रोडक्शन भारत, चीन, ब्राजील, साउथ कोरिया और दूसरे देशों में किया जाएगा।