वन ग्राम झोला राव का मामला वन विभाग की लापरवाही से ग्रामीणों को कच्ची सड़क मार्ग भी नसीब नही
मैनपुर। आजादी के 75 साल के बाद भी ग्रामीण अंचलों में पैदल चलने लायक भी ग्रामीणों को कच्ची सड़क मार्ग नसीब नहीं होना स्वतंत्र भारत में दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है। प्रजातांत्रिक व्यवस्था में चुनाव के समय सांसद, विधायक, जिला पंचायत, जनपद पंचायत ,ग्राम पंचायत के सशक्त उम्मीदवार वोट मांगने के लिए गांव -गाँव में जाकर के लंबी-लंबी भाषण एवं चुनावी वादे करते हुए चुनाव में जीतने के बाद आपके गांव में सड़क,पानी, बिजली सहित तमाम सुविधाएं दिलाने के लिए कृत संकल्पित रहूंगा। ऐसा कहने वाले जनप्रतिनिधियों का चुनावी वादे 5 साल बीतने के बाद भी जस के तस रहते हुए गांव में चलने लायक भी कच्ची सड़क नहीं बना पाते जिसके कारण ग्रामीणों को भयंकर तकलीफ उठानी पड़ती है। जिसके लिए लोकलुभावन वादे करने वाले जनप्रतिनिधियों सहित जिम्मेदार अफसरों को कोई सरोकार नहीं होता। जिसका दंश झेलने को आज भी ग्रामीण अंचलों के रहवासी मजबूर और बेबस हैं।
ऐसा ही कलेजे को झकझोर देने वाली मामला विकासखंड मुख्यालय मैनपुर से 51किलोमीटर की दूरी पर बसा राजापडा़व क्षेत्र के गौरगांव ग्राम पंचायत के आश्रित वन ग्राम झोलाराव जो उड़ीसा सीमा पर बसा हुआ है। गौरगांव से 4 किलोमीटर लाटापारा गाँव वहां से 3 किलोमीटर वन ग्राम झोलाराव की दूरी है। जहां की मकान संख्या लगभग 35 और जनसंख्या 108 है।
चलने लायक भी सड़क नहीं होने से 102,108 एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंचने के कारण 4 साल में 6 मासूम बच्चों की मौत
ग्रामीणों के अनुसार तमाम जनप्रतिनिधियों सहित वन विभाग के आला अफसरों से गांव तक पहुंचने के लिए कच्ची सड़क निर्माण के लिए कई बार आवेदन निवेदन करने के बाद भी आज तक चलने लायक भी सड़क नहीं बना पाने के कारण हमारे गांव से छोटे बच्चों के मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।विगत 4 साल में 6 मासूम बच्चे जान गवा बैठे हैं।
जान हथेली में लेकर बरसात के दिनों में भी 108 ,102 को फोन करने पर आधा दूरी में पहुंच तो जाते हैं। लेकिन उबड़ खाबड़ कच्ची पथरीली रास्ते होने के कारण गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है। जिसके कारण आपातकालीन प्रसव गांव में ही कराना पड़ता है। गांव में सुविधा युक्त प्रसव के साथ ही स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में मासूम बच्चों को जान गंवानी पड़ती है। सड़क मार्ग नहीं होने के कारण 4 साल में 6मासूम बच्चों की जान छोटे से बस्ती झोलाराव मे गई है। जो ग्राम वासियों को झकझोर कर रख दिया है।
4 साल में 6 बच्चों की मौत सड़क मार्ग नहीं होने के कारण
1.. लखमू राम मंडावी /रूप सिंह मंडावी 27 वर्ष..पत्नी श्रीमती श्याम बाई बारिश के समय एंबुलेंस नहीं पहुंच पाने के कारण डिलीवरी के समय ही मासूम बच्चे की मौत।
2,, सियाराम पिता चौधरी नेताम उम्र 30 वर्ष पत्नी श्रीमती अमेरिका बाई 27 वर्ष जुड़वा बच्चा घर में ही डिलीवरी कराने के कारण तुरंत दोनों बच्चों की मौत हो गई।
3,, कृष्णा राम /सुकचंद मरकाम 27 वर्ष पत्नी लक्ष्मी बाई 25 वर्ष सुरक्षित प्रसव नहीं होने के कारण डेढ़ महीना के बाद बच्चे की मौत हो गई।
4.. चमरू राम/चौधरी राम नेताम उम्र 40 वर्ष पत्नी राजबाई नेताम
उम्र 35 वर्ष एंबुलेंस सड़क मार्ग खराब होने कारण नहीं पहुंच पाया जिसके कारण बच्चे की मौत हुई।
5.. प्रेमलाल नेताम /बुधराम नेताम पत्नी गीता बाई गांव में ही डिलीवरी हुई 3 महीना के बाद बच्चे की मौत हो गई।
एक माह की बच्ची जिसका जन्म गांव में हुआ लेकिन पूरे शरीर में काला धब्बा
मोती राम मरकाम/ पत्नी नरेश्वरी मरकाम के यहां 1 माह पूर्व एक बच्ची का जन्म हुआ है। जन्म से ही पूरे शरीर में काला काला धब्बा बड़े-बड़े हो गया है। जिसको लेकर उनके माता-पिता बेहद परेशान हैं। जिम्मेदार वन विभाग गांव तक पहुंचने के लिए कच्ची सड़क मार्ग भी बना दिया होता तो 4 साल में 6बच्चों की मौत तो नहीं होती।
सड़क के अभाव में तलाब के मेड पार से बरसात के दिनों में बड़ी मुश्किलों से जान जोखिम में डालकर आवाजाही करना ग्रामीणों की मजबूरी बन गई है। महिलाओं ने बताया कि सरकार कह रही है घर में प्रसव न कराकर प्रसूता महिला को अस्पताल ले जाएं।लेकिन गांव तक सड़क नहीं होने से 108 व जननी वाहन नहीं पहुंचने से अस्पताल तक समय पर पहुंचना संभव नहीं हो पाता जिसके कारण 4 साल में 6 मासूम बच्चों की जान गवाए हैं। जिसका जिम्मेदार कौन होगा,,, आज भी अबूझ पहेली बनी हुई है। जिसके कारण ग्रामीणों में आक्रोश पनप रहा है। ग्रामीण मुखिया लव कुमार मरकाम, प्रेमलाल नेताम,लखू कुंजाम दलसाय नेताम,रती कुंजाम, राम नेताम, रूप सिंह मंडावी, महेश लाल नेताम, नारद कुमार कुंजाम, गीताबाई,सीता नेताम,सुखबती मरकाम,सावित्री कुंजाम सहित झोलाराव के मूल निवासी मूलभूत आवश्यकताओं में शामिल सड़क निर्माण को तत्काल पूर्ण कराने की मांग कलेक्टर से की है।