CM-मंत्री बने विद्यार्थी!

Chhattisgarh Crimesप्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी रविवार को आईआईएम रायपुर में विद्यार्थियों की भूमिका में दिखाई दिए। इस दौरान विभिन्न विषय के विशेषज्ञों ने सुशासन, नेतृत्व, जनता का विश्वास हासिल करने और बेहतर वित्तीय प्रबंधन के विषय में जानकारी दी।

सूत्रों के मुताबिक इस दौरान कुछ विशेषज्ञों ने सरकारी और निजी व्यवस्था का हवाला देकर आम जनता को कैसे अच्छी सुविधाएं दी जा सकती हैं, इसकी भी जानकारी दी। साथ ही छत्तीसगढ़ को आगे बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए भी कई अहम सुझाव दिए।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि चिंतन शिविर 2.0 जैसे प्रशिक्षण सत्र शासन को नया दृष्टिकोण और नीतिनिर्माण प्रक्रिया को सशक्त बनाने का अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से मंत्रीगणों को सुशासन और परिवर्तनकारी नेतृत्व के महत्वपूर्ण गुर सीखने का अवसर मिलता है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, सुशासन एवं अभिसरण विभाग के विशेष सचिव रजत बंसल, भारतीय प्रबंध संस्थान रायपुर के निदेशक राम काकाणी और सभी मंत्रीगण मौजूद थे।

 नीति-संसाधनों से नहीं होगा राष्ट्र निर्माण : डॉ. सहस्त्रबुद्धे

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने संस्कृति, सुशासन और राष्ट्र निर्माण विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, भारत की एकता केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक भी है। राष्ट्र निर्माण केवल नीतियों या संसाधनों से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना और नैतिक मूल्यों से संभव है।

पीएम के आर्थिक सलाहकार का संबोधन आज

चिंतन शिविर के दूसरे दिन सोमवार को सुबह योगाभ्यास से शुरुआत होगी। सत्र की शुरुआत पीएम के आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल के उद्बोधन से होगा। राजनीतिक विश्लेषक उदय माहुरकर अपनी बात रखेंगे। इसके बाद डिजिटल स्वास्थ्य विषय पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. राजेन्द्र प्रताप गुप्ता का उद्बोधन होगा।

कार्यफल की आशा से नहीं करें: प्रो. राय

आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय ने परिवर्तनकारी नेतृत्व एवं दूरदर्शी शासन विषय पर अपनी बात रखी। उन्होंने व्याख्यान में भगवद् गीता के श्लोकों के माध्यम से कहा, कार्य केवल फल की आशा से नहीं, बल्कि उसके सही होने के कारण किया जाना चाहिए।

पूंजीगत व्यय बढ़ाना जरूरी: प्रो. ढोलकिया

आईआईएम अहमदाबाद के प्रोफेसर डॉ. रविंद्र ढोलकिया ने सब्सिडी से सततता: विकास के लिए सार्वजनिक वित्त पर पुनर्विचार विषय पर प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने कहा कि अच्छी विकास दर हासिल करने के लिए पूंजीगत व्यय बढ़ाना आवश्यक है।