बिलासपुर हाईकोर्ट ने रायगढ़ सिविल कोर्ट के आदेश के खिलाफ पत्नी की अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की

Chhattisgarh Crimesबिलासपुर हाईकोर्ट ने रायगढ़ सिविल कोर्ट के आदेश के खिलाफ पत्नी की अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है। इससे पहले सिविल कोर्ट ने भी याचिका खारिज कर दी थी। जिसे चुनौती देते हुए पत्नी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

जानिए क्या है पूरा मामला ?

दरअसल, रायगढ़ का रहने वाला एक युवक जिंदल स्टील में काम करता था। उसने 11 मई 2007 को जिंदल स्टील प्लांट के ही महिला स्टाफ से लव मैरिज की थी। कुछ साल बाद पत्नी की चरित्र को लेकर दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया। दोनों साल 2010 से अलग-अलग रहने लगे।

पति ने साल 2013 में रायगढ़ के फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए आवेदन दिया। फैमिली कोर्ट ने मार्च 2014 को पति के पक्ष में तलाक की डिक्री आदेश मंजूर कर ली। आदेश के अनुसार, पति-पत्नी का वैवाहिक संबंध 31 मार्च 2014 से समाप्त हो गया है।

तलाक के बावजूद पति की संपत्ति पर किया कब्जा

महिला के पति ने रायगढ़ में एक मकान खरीदा था। जिसे किराए पर दिया था। तलाक के बाद पत्नी ने अपने 8-10 लोगों के साथ जबरन उस मकान में घुसकर कब्जा कर लिया। वहां रहने लगी। पति ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने पत्नी समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 452 (घर में जबरन प्रवेश) और 448/34 के तहत केस दर्ज भी किया।

पत्नी ने सिविल सूट दायर कर प्रापर्टी पर जताया अधिकार

तलाक के बावजूद पत्नी ने पति की संपत्ति पर अधिकार जताते हुए रायगढ़ सिविल कोर्ट में सिविल सूट दायर कर दी। लेकिन, सिविल कोर्ट ने यह कहते हुए वाद खारिज कर दिया कि तलाक के आदेश के बाद पत्नी का पति की संपत्ति पर कोई वैध अधिकार नहीं बनता।

सिविल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील

सिविल कोर्ट के आदेश के खिलाफ महिला ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अपील की। जिसमें उसने कहा कि, पति की प्रापर्टी पर उसका हक है। पति उसे अपनी संपत्ति से बेदखल नहीं कर सकता। लेकिन, सिविल कोर्ट ने अवैधानिक तरीके से फैसला देते हुए उसे अधिकार से वंचित कर दिया है।

हाईकोर्ट बोला- तलाक के बाद प्रापर्टी पर वैधानिक अधिकार नहीं

हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि, विवाह विच्छेद की तारीख (31 मार्च 2014) से दोनों के वैवाहिक संबंध समाप्त हो चुके हैं। इसलिए पत्नी के पास पति की संपत्ति पर कोई भी वैधानिक अधिकार नहीं बचता।

कोर्ट ने कहा कि तलाक की डिक्री के बाद पत्नी का दर्जा समाप्त हो जाता है। इसलिए उत्तराधिकार का अधिकार भी खुद समाप्त हो जाता है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सिविल कोर्ट रायगढ़ के आदेश की पुष्टि करते हुए पत्नी की अपील को खारिज कर दी।