बहला-फुसलाकर रैन बसेरा में रहने का कहकर ले जा रहे थे, लोगों ने वीडियो बनाए तो खुल गई पोल
फुटपाथों को साफ-सुथरा दिखाने के लिए किया घिनौना कृत्य
इंदौर। स्वच्छता रैंकिंग में लगातार चार बार नंबर 1 रहे इंदौर को नगर निगम के कर्मचारियों की एक करतूत ने शर्मसार करते हुए मानवीय मानक पर शहर को शून्य पर लाकर खड़ा कर दिया। निगम कर्मचारियों की इस अमानवीय करतूत से मां अहिल्या की नगरी का सिर शर्म से झुक गया। निगम कर्मचारी शहर के वृद्ध भिखारियों को वाहन में मवेशियों की तरह भरकर लाए और शिप्रा में छोड़कर जाने लगे। इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने विरोध करते हुए निगम कर्मचारियों को फौरन घेर लिया। घबराए कर्मचारियों ने वृद्धों को वापस अतिक्रमण निरोधक वाहन में बैठाना शुरू कर दिया और मामले पर लीपापोती करते हुए उन्हें फिर रैन बसेरा में छोड़ा गया। इस पूरे घटनाक्रम ने सफाई में देश की शान बन चुके इंदौर के नगर निगम की कार्यप्रणाली पर ही सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।
सूत्रों की मानें तो इंदौर को साफ-सुथरा दिखाने के लिए फुटपाथों पर सोए लावारिस बुजुर्ग लोगों की जान से खिलवाड़ किया गया…। अत्याचार क्रूरता की तमाम पराकाष्ठा को पार कर गया निर्दयी निगम, बेहद शर्मनाक…। इन्हें क्षिप्रा में बड़ी बुरे तरीके से उतारा गया…। जबकि इन बुजुर्गों को रैन बसेरा का बोलकर ले गए। ये बिचारे कुछ समझ पाते, इससे पहले गाड़ी क्षिप्रा पहुंचा दी गई और फिर एक-एक उतरने के आदेश दिए गए। ये नहीं उतरे तो इन्हें बड़े बेहतर तरीके से बाहर निकाला गया…। जिसने भी देखा वो सख्ते में आ गया, इसलिए तत्काल वीडियो बनाना शुरू कर दिया गया। निगम ने भारी ठंड में बुजुर्ग को ठूस कर शहर की वाहन में भरा ओर शहरी सीमा से बाहर क्षिप्रा पुल के पास पटक दिया।
दो कर्मचारियों पर भी गिरी गाज, सेवाएं समाप्त
वहीं इस घटना की वीडियो वायरल होने के बाद सख्त कार्रवाई करते हुए निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल ने रैन बसेरा के मस्टरकर्मी ब्रजेश लश्करी और विश्वास वाजपेयी की तत्काल प्रभाव से सेवाएं समाप्त कर दीं। उन्होंने कहा कि मामला संवेदनशील है, जांच में जहां भी लापरवाही बरती जाएगी, वहां जवाबदार कार्रवाई की जद में आएंगे।