पूरन मेश्राम/ छत्तीसगढ क्राइम्स मैनपुर
उदन्ती अभ्यारण्य क्षेत्र (कोर जंगल) के रहवासियों को मूलभूत सुविधाओं के लिए हमेशा संघर्ष करते देखा गया है। लेकिन बाहरी लोगों को यहां सुविधा उपलब्ध कैसे मिल जाता है। स्थानीय लोगों को छोंड़कर बाहरी व्यक्तियों का अभयारण्य क्षेत्र में प्रवेश निषेध है।ऐसे में बाहरी व्यापारी को संरक्षण दिया जाना समझ से परे लगता है। एक तो खुलेआम नियम कानून को ताक में रखकर विकास खंड मुख्यालय मैनपुर ग्राम पंचायत के तौरेंगा के आश्रित ग्राम जुगाड़ में अवैध रूप से मकान निर्माण कर रहा है। जिस पर उचित कार्यवाही के लिए युवा संघर्ष मोर्चा के जिलाध्यक्ष युमेन्द्र कश्यप द्वारा 23 अगस्त को कलेक्टर गरियाबंद,पुलिस अधीक्षक सहित एसडीएम मैनपुर को ज्ञापन संप्रेषित किया गया है।
यहां पर सवाल यह खड़ा होता है कि कोर जंगल की सुरक्षा के तैनात जिम्मेदार विभाग को इसकी भनक हैं कि नहीं या फिर जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है वहीं दूसरी और भूंजिया जनजाति के संरक्षण के लिए काम करने वाला विभाग कहा है। एक भुंजिया परिवार के मकान को एक बाहरी कब्जा कर उसमें अपना व्यापार कर रहा है और विभाग बेखबर हैं। कुंभकर्णी नींद मैं जिम्मेदारों के सोने के कारण ही भुंजिया जाती का जो विकास होना था वह जमीनी स्तर पर नज़र नहीं आता है। स्थानीय प्रशासन के कुंभकर्णी नींद के चलते बाहर से आकर एक व्यापारी किस तरह कानून की धज्जियां उड़ा रहा है उसकी एक बानगी हम फिर बताने जा रहे हैं। उन्ही का दूसरा खेल हम बताने जा रहे है।
राजस्थानी व्यापारी का दूसरा कारनामा….
केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा अभिनव योजना जरूरतमंद पात्र हितग्राहियों को कच्चे मकानों से मुक्ति दिलाने पक्का मकान प्रधानमंत्री आवास निर्माण के तहत दिया जा रहा है। जिसमें गरीब परिवार बारहमासी रहकर बड़ी खुशियों से गुजर बसर कर सके। लेकिन बाहरी व्यापारी द्वारा आदिम जनजाति भुजिया समाज के प्रधानमंत्री आवास में नियम कानून को ताक में रखते हुए बेधड़क किराने की दुकान संचालित कर रहा है। जिसको जानकर भी ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों के द्वारा किसी भी प्रकार के कार्यवाही नहीं किया , मिलीभगत का अंदेशा लगता है। जिसका उचित रूप से शासन प्रशासन को जांच करते हुए कार्यवाही किया जाना नितांत आवश्यक है। नहीं तो बाहरी व्यक्तियों के द्वारा इस तरह से कृत्य किया जाना आम बात हो जाएगी। जिसके लिए प्रधानमंत्री आवास बनाया गया है,वह अपने बेटी के यहां तौरेंगा में रह रही है। समाज प्रमुखों को भी इस पर संज्ञान लेना चाहिए।जिसका प्रधान मंत्री आवास है। जिनके द्वारा किस कारण से किराना दुकान संचालित करने दिया गया जाँच का विषय है। वही बाहरी व्यापारी ने बताया कि मजबूरी में जगह नहीं मिलने के कारण हितग्राही के सुपुत्र से बात करके प्रधानमंत्री आवास मे दुकान संचालित कर रहा हूं। जिसका 2000 रुपये किराया भी देता हूँ। अगर ऐसी बात है तो मैं खाली कर दूंगा।