अभी तो अधिग्रहण की औपचारिकताएँ भी पूर्ण नहीं हुई उससे पहले ही विवादित कॉलेज को दिए 41 करोड़, ऐसी भी क्या जल्दी थी : भाजपा

चंदूलाल चन्द्राकर मेडिकल कॉलेज को अनुपूरक बजट में करोड़ो की राशि देने पर भाजपा प्रदेश अध्य्क्ष ने प्रदेश सरकार पर साधा निशाना

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा है कि प्रदेश के चंदूलाल चंद्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के अधिग्रहण की औपचारिकता पूरी होने से पहले ही अनुपूरक बज़ट में 41 करोड़ रुपए का प्रावधान प्रदेश सरकार की बदनीयती को ज़ाहिर करने के लिए पर्याप्त है। उक्त महाविद्यालय के जो डायरेक्टर हैं, उनके परिवार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बेटी ब्याही गई हैं। श्री साय ने कहा कि उक्त महाविद्यालय को लेकर लगातार विवाद की स्थिति बनी हुई है और जो महाविद्यालय भारी कर्ज़ में डूबा हो, लगातार नुक़सान में हो और जिसकी मान्यता सन 2017 से मेडिकल काऊंसिल ऑफ़ इंडिया ने धोखाधड़ी का गंभीर आरोप लगाकर रद्द कर रखी हो, उसका सरकारी ख़ज़ाने की राशि से अधिग्रहण करने का फैसला राज्य सरकार ने लेकर अपने एक रिश्तेदार परिवार के आर्थिक हितों को साधने का काम किया है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि इस विवाद के बीच भी प्रदेश सरकार उक्त महाविद्यालय के अधिग्रहण का विधेयक विधानसभा में रख रही है। केवल प्रदेश ही नहीं, अपितु राष्ट्रीय स्तर पर इस मामले को लेकर चर्चा हो रही है और विवाद की स्थिति है। लेकिन इससे भी एक क़दम आगे जाकर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में जो अनुपूरक बज़ट पेश किया है, उसमें इस महाविद्यालय के लिए 41 करोड़ रुपए का प्रावधान तक कर दिया! श्री साय ने सवाल किया कि इतनी हड़बड़ी किस बात की है कि इतने विवाद के बीच और विधानसभा में अधिग्रहण संबंधी विधेयक पारित होने से पहले ही अनुपूरक बज़ट में उक्त महाविद्यालय के लिए 41 करोड़ रुपए का प्रावधान प्रदेश सरकार ने कर दिया? जब अनुपूरक बज़ट में वे बज़ट प्रावधान किए जाते हैं जो अति आवश्यक होते हैं, तो अब प्रदेश सरकार इस बात का ज़वाब दे कि उसने इस प्रावधान को क्यों और किस आधार पर अतिआवश्यक समझा? श्री साय ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल ने एक तो अपने दामाद के निजी महाविद्यालय को बचाने के लिए उसे सरकारी राशि से ख़रीदने की पहल की और दूसरे, अधिग्रहण के पहले ही उसके लिए बज़ट का प्रावधान तक करने में इतनी दिलचस्पी दिखाई है, तो यह भ्रष्टाचार मुक्त छत्तीसगढ़ के ढोल पीटती सरकार की सीधे प्रदेश के ख़ज़ाने को लुटाने और पारिवारिक रिश्तेदारी निभाकर एक परिवार के आर्थिक हितों को साधने की शर्मनाक और भ्रष्ट कोशिश है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने उक्त महाविद्यालय के अधिग्रहण को लेकर प्रदेश सरकार की दलील पर कटाक्ष कर कहा कि मुख्यमंत्री बघेल को अपने रिश्तेदार के मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण में छत्रों का हित दिखाई दे रहा है तो छत्तीसगढ़ के 20 से ज़्यादा संकटग्रस्त इंजीनियरिंग कॉलेज की चिंता वे क्यों नहीं कर रहे हैं, जहाँ हज़ारों बच्चों का भविष्य अधर में है। क़दम-क़दम पर फ़ंड की कमी का रोना रोती प्रदेश सरकार के नाकारापन के चलते महासमुंद, कोरबा और काँकेर के इस सत्र से शुरू होने वाले उन चिकित्सा महाविद्यालयों की मान्यता रद्द हो गई जिनके लिए केंद्र सरकार 50-50 करोड़ रुपए की राशि तक स्वीकृत करके भेज दीथी। श्री साय ने कहा कि शिक्षकों, पुलिस उपनिरीक्षकों समेत परेशान हो रहे अनेक परीक्षार्थियों के हित की चिंता इस प्रदेश सरकार को क्यों नहीं हो रही है? प्रदेश सरकार की सियासी लफ़्फ़ाजियों के चलते प्रदेश के लगभग 15 हज़ार चयनित शिक्षक अभ्यर्थी अपनी नियुक्ति के आदेश के लिए सालों से अपनी जान हथेली पर रखकर आंदोलन के लिए विवश हो रहे हैं, जिनमें कई तो अब भीख मांगकर, जूते पॉलिश कर और मनरेगा में मज़दूरी करके परिवार का ख़र्च चलाने के लिए विवश हो रहे हैं।