बागबाहरा। छत्तीसगढ़ राज्य के उडीसा सीमावर्ती खल्लारी विधानसभा क्षेत्र प्रदेश के सबसे पिछडा हुआ कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा। जहां अकाल हर एक दशक में विकराल रूप धारण किए सामने खड़ा रहता है।खल्लारी विधानसभा क्षेत्र में सिंचाई साधन का बेहद अभाव है इसलिए प्रतिवर्ष प्राय: सूखा अकाल की स्थिति निर्मित होता है यहां के किसान लंबे समय से नदी नाला में डायवर्सन एंव सिंचाई जलाशय बनाने की मांग पूरजोर तरीका से करते आ रहे है परंतु इस क्षेत्र के किसानों की मांग को यहाँ से चुनकर गये सांसद विधायक कभी भी दमदारी से सदन मे बात को नहीं रखे इसलिए राज्य सरकार खल्लारी क्षेत्र को कोई महत्व नहीं दिये यहां के जनप्रतिनिधि सिंचाई योजना को बजट मे भी शामिल नहीं करा पाये है।
खरीफ सीजन 2021-22 में ऐसी विकराल समस्या खड़ी हुई है,जिसने क्षेत्र के किसानों की कमर तो तोड़ी ही है साथ ही यहां के किसानों का आर्थिक अर्थव्यवस्था को भी हिला कर रख दिया और एक बार फिर से खल्लारी में कमजोर मानसून के चलते किसानों को भीषण सूखा अकाल की ओर धकेल दिया है।वर्षाऋतु के प्रारंभ से ही खण्डवृष्टि का होना किसानों के लिए नुकसान देह,साबित हुआ है।
छत्तीसगढ़ में 2000 में जो अकाल पड़ा था उससे भी भीषण अकाल की स्थिति वर्तमान मे बना गया है। खल्लारी क्षेत्र के उडीसा सीमावर्ती नदी तट पर बसे गांव खट्टी,सेनभांठा झीटकी परसुली,परकोम बहेराभांठा, नर्रा,बिंद्राबन अमेरा उखरा,सिवनी सोनामुदी, टेमरी, करीडिह साल्हेभांठा, डोंगाखमरिहा कुसमी, छिबर्रा, कोचर्रा सीमगांव, खेमडा, डोंगरगाव, खुडमुडी, डोंगरीपाली रेवा,मोंगरापाली सहित सैकडों गांव जोंकनदी तट पर बसा हुआ है बावजूद यहाँ की धरती प्यासा है। नदी में व्यर्थ पानी बहते जा रहा है पर बहते पानी को नदी मे रोककर अपने क्षेत्र के गांवों को सिंचित करने क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि यों,ने कार्य योजना बनाने में विफल रहे है।
इसी तरह खल्लारी विधानसभा क्षेत्र में सैकडों छोटे बडे नाला है जैसे कोचर्रा छिबर्रा नाला देवरी कुसमी नाला कांदाजरी नाला छुईहा फिरगी नाला गांजर नाला भूरकोनी नाला तेंदूकोना नाला शिकारीपाली नाला मोहबा नाला कौहाकुडा नाला बीके बाहरा नाला खल्लारी नाला कोमा नाला सहित वनांचल क्षेत्र मिलाकर सैकड़ों नाला है जिसे बांधकर जलाशय निर्माण कराकर किसानों के खेतों में पानी पहुंचाया जा सकता इसके लिए कोई ध्यान नहीं दिया गया खल्लारी में अनेकों बार सांसदों विधायकयों ने सरकार का हिस्सा रहे है बावजूद सिंचाई के लिए ठोस रणनीति नहीं बना पाये और न ही बजट मे शामिल करा पाये यह क्षेत्र का दूर्भाग्य है।
खल्लारी विस क्षेत्र में अकाल पर मंडरा रही काली छाया से किसानों के चेहरे में चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही है। वर्षा के अभाव में खेत सुख चुके है,रोपाई बियासी व निंदाई जैसे कार्य प्रारंभ नहीं हो पाये है।धान पौधों की स्थिति बहुत बुरा हालात मे पहुंच गया है यदि बादल फूट वर्षा भी होगा तो दादर जमीन के लिए कोई लाभ नहीं होने वाला है।
वहीं दूसरी ओर साधन सम्पन्न किसानों के लिए बिजली विभाग लोवोल्टेज और बार बार बिजली गुल होने की समस्या ने परेशान कर रखा है। लोवोल्टेज व बिजली कटौती की समस्या की आवाज चहूं ओर सुनाई दे रही है बावजूद यहाँ के विभागीय अधिकारी तथा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के कानों में जूं नहीं रेंग रही है। ऐसे बिजली समस्या में अपने खेतों को अपने दम पर नलकूप के माध्यम से सिंचित करने वाले किसानों के हाथ मे पानी होने के बावजूद वे अपनी धान की फसल को सिंचित नहीं कर पा रहे है, धरती माता के गर्भ में समाये पानी होने के बावजूद फसल को मरते देख किसान हैरान परेशान हो गया है चूंकि बेपरवाह अधिकारियों की वजह से बिजली विभाग व्दारा जानबूझ कर लो वोल्टेज व बिजली कटौती जैसी समस्या से किसान बेबस हो चुके है। बिजली समस्या उत्पन्न क्यों हुआ है इस बात की जानकारी जनप्रतिनिधि भी नहीं ले रहे है।
खल्लारी क्षेत्र के अकाल की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है भिलाईदादर के किसान अपने फसलों को मवेशियों के हवाले करना प्रारंभ कर दिये है। सप्ताह भर बाद अनेक गांव के किसान बारिश के अभाव में मरते धान की फसल को मवेशियों को चराने विवश होंगे।
खल्लारी क्षेत्र में औसत से बहुत कम बारिश होने का अनुमान लगाया जा रहा है चूंकि क्षेत्र के गांव गांव के सभी तालाब जलाशय में बहुत कम पानी भर पाया है। तालाबों जलाशयों मे कम पानी का होना चिंताजनक है चूंकि भविष्य में निस्तार और पेयजल की विकराल स्थिति उत्पन्न होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
किसान नेता पारस सांखला का कहना है कि बारिश इतना कम होगा इसका अनुमान किसी को नहीं था सरकारी तंत्र के भविष्यवाणी पूरी तरह से धरा के धरा रह गया। अकाल की ऐसे मार से यहां के किसानों की चिंता बढ़ना भी लाजमी है,क्यों कि पिछले कुछ सालों से कमजोर मानसून ने जहां किसानों की कमर तोड़ी है वहीं इस साल के मानसून किसानों की स्थिति बद से बदतर कर के रख दिया है।
अकाल पीडित किसानों की सुध लेने वाला कोई भी नेता नजर नहीं आ रहे है और ना ही प्रशासन स्तर के कोई अधिकारी दिखाई दे रहे है। क्या क्षेत्र के नेताओं के पास गांव जाकर किसानों से बात करने का भी समय नहीं है लगता है यहां के चुने हुए जनप्रतिनिधियों को जन सरोकार से कोई वास्ता नहीं।उन्हें सिर्फ उद्घाटन शिलान्यास जैसे कार्यक्रम दिखाई देता है किसानों की पीडा दिखाई नहीं देता बेबस लाचार किसान किसके उपर भरोसा करे और किसके उपर नहीं?नेतृत्विहीन खल्लारी क्षेत्र के किसानो को राकेश टिकैत जैसे नेता की दरकार है ताकि यहां के किसान अपनी लडाई खुद लडेंगे चूंकि किसान शासन प्रशासन और यहाँ के नेतृत्व से बेहद खफा है। चुनाव के समय लंबे लंबे डिंगें हांकते हैं। चुनकर जाने के बाद क्षेत्र की समस्या को पलट कर नहीं देखते भविष्य में ऐसे मौकापरस्त नेताओं से सावधान रहना चाहिए!