दिल्ली की हवा सुधारने के लिए तत्काल कुछ कीजिए; जरूरत हो तो लॉकडाउन या कुछ और सोचें : सुप्रीम कोर्ट

Chhattisgarh Crimes

नई दिल्ली। दिल्ली की दिन-पर-दिन जहरीली होती हवा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को लताड़ा है। जस्टिस एनवी रमना दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आप देख रहे हैं कि हालात कितने गंभीर हैं। हम अपने घरों में भी मास्क लगाकर घूम रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में स्कूलों के खोले जाने पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने प्रशासन से तुरंत जरूरी कदम उठाने को कहा है। जैसे- वाहनों को रोकना और दिल्ली में लॉकडाउन लगाना।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यकीन दिलाया कि वे पराली का जलना रोकने के लिए कदम उठा रहे हैं। सरकार ने कहा कि पिछले पांच-छह दिनों में हमने जाे प्रदूषण देखा है वह पंजाब में पराली जलने की वजह से है। राज्य सरकारों को अपने काम में तेजी लाने की जरूरत है। पराली खेतों में अब भी जलाई जा रही है। इस चीफ जस्टिस रमना ने सरकार से पूछा- आप क्यों ऐसा जताना चाहते हैं कि सिर्फ पराली जलाने से ही प्रदूषण हो रहा है। उससे सिर्फ कुछ प्रतिशत ही प्रदूषण फैल रहा है, बाकी का क्या?

सुप्रीम कोर्ट ने मांगा इमरजेंसी प्लान

आप दिल्ली का बाकी प्रदूषण रोकने के लिए क्या कर रहे हैं? आपको इमरजेंसी प्लान लाना चाहिए। आप बताइए कि क्या इमरजेंसी उपाय करने के लिए आपकी क्या योजना है? दो दिन का लॉकडाउन? AQI कम करने के लिए यह आपका प्लान है? हमें सिर्फ दो तीन दिन का प्लान नहीं, बल्कि सही प्लान बताइए।

सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच हुआ विवाद

सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम ऐसा नहीं कह रहे हैं, कि सिर्फ किसान ही इस प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। हमने ऐसा कभी नहीं कहा। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर किसानों को इंसेंटिव नहीं मिला, तो बदलाव आने की गुंजाइश कम है। किसी चीज पर ऐसे ही अमल नहीं किया जा सकता।

तुषार मेहता ने कहा कि हम धूल को रोकने के लिए कदम उठा रहे हैं। इसमें राज्य सरकारों की भी जिम्मेदारी है। यह एक मिली-जुली जिम्मेदारी है। मैं चाहूंगा कि राज्य सरकारें भी सोमवार को इस मामले में एफिडेविट फाइल करें।