अबूझमाड़ में किसान कर रहे हैं आधुनिक खेती

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रायपुर। देश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक अबूझमाड़ क्षेत्र में अब किसान आधुनिक खेती से जुड़ने लगे हैं। वनांचल क्षेत्र में कई किसान आधुनिक खेती का लाभ ले रहे हैं। इन किसानों के खेतों में ड्रीप इरीगेशन और ग्रीन शेडनेट जैसी सुविधाएं देखी जा सकती है। छत्तीसगढ़ में नई सरकार का मुख्य फोकस वनांचलों के विकास पर है, इसे ध्यान में रखकर किसानों को आधुनिक खेती से जोड़ा जा रहा है। अबूझमाड़ क्षेत्र के किसानों के यहां सौर ऊर्जा से चलित पम्प, ड्रीप इरीगेशन सिस्टम जैसी सुविधाए मिल रही है। आधुनिक खेती के तौर तरीकों से जुड़ने से इन परिवारों के जीवन शैली में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने नारायणपुर के नदी किनारे जहां विद्युत लाईन नहीं है, उन किसानों को प्राथमिकता से सौर सुजला योजना से लाभान्वित करने कहा है।

क्रेडा द्वारा वर्ष 2020-21 के लिए 20 हजार पम्पों की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। नारायणपुर जिले में अब तक 1956 किसानों को सिंचाई सुविधा के लिए सौर ऊर्जा चलित पम्प दिए गए है। इसके अलावा किसानों को ड्रीप इरीगेशन की सुविधाएं भी दी जा रही है। साथ ही 15 किसानों को सब्जी उत्पादन के लिए ग्रीन शेडनेट दिया गया है। इससे जिले के अन्य किसान भी इन नई तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।

नारायणपुर जिला मुख्यालय से लगे आमगांव में रहने वाली महिला किसान प्रमिला भी आधुनिक खेती से जुड़ी है। प्रमिला ने बताया कि उनका परिवार परम्परागत खेती करता था। वर्षा ठीक से नहीं होने पर कई बार फसल बर्बाद हो जाती थी। इसके अलावा उनके यहां सिंचाई के लिए विद्युत लाईन नहीं है। इसके कारण उनके लिए सिंचाई की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। राज्य शासन की सौर सुजला योजना में उनके यहां सोलर पम्प लगाया गया है। इससे उनकी खेती सिंचित हो गई है। उद्यानिकी विभाग के द्वारा उनके यहां आधा एकड़ में शेडनेट और ड्रीप इरीगेशन सिस्टम भी लगाया जा रहा है। इससे उनका परिवार बारह महीने सब्जी की खेती कर सकेगा।

शेड नेट के फायदे के संबंध में प्रमिला ने बताया कि हर मौसम में खेती-बाड़ी की व्यवस्था सरकारी योजनाओं ने पूरी कर दी। वह खुशी-खुशी बताती है कि वह सौर सिंचाई पंप का एक बटन दबाकर अपने खेत की हर मौसम में सिंचाई कर रही है। वहीं अब शेड नेट हाऊस तैयार होते ही वह करेला, टमाटर, लौकी एवं अन्य पत्तेदार सब्जियां लगायेगी। उन्होंने बताया कि परम्परागत खेती से उनके परिवार की आय सीमित थी। उन्हें परिवार का खर्च चलाने के लिए मजदूरी भी करनी पड़ती थी। लेकिन सरकार की सहायता से खेती की जमीन सिंचित होने और शेडनेट तथा ड्रीप इरीगेशन सिस्टम लगने से हर मौसम में अब खेती हो सकेगी। उन्होंने बताया कि उनके खेत में सौर ऊर्जा चलित सिंचाई पम्प लगने से उनके परिवार की खुशी लौट आयी है।