भारत में अगले 5 साल में 3.2 लाख करोड़ रुपए निवेश करेगा जापान

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नई दिल्ली। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भारत में इंवेस्टमेंट बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। अब जापान अगले 5 सालों में भारत में 3.2 लाख करोड़ रुपए का निवेश करेगा। दरअसल, शनिवार (19 मार्च) को दो दिन के दौरे पर भारत आए हैं। जापानी पीएम 19 और 20 मार्च को नई दिल्ली में रहेंगे। आज उन्होंने दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में पीएम मोदी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच कई मसलों पर बात हुई। इसके बाद दोनों ने 14वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया।

सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि जापान के पीएम हमारे पुराने मित्र हैं। जापान के प्रधानमंत्री बनने के बाद फुमियो किशिदा का यह पहला भारत दौरा है और पहली बार पीएम मोदी से मिलेंगे। शाम 5 बजे दिल्ली के हैदराबाद हाउस में दोनों प्रधानमंत्री के बीच मुलाकात होगी।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विषयों पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि पिछले साल दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय भागीदारी देखी गई और भारत-जापान स्पेशल स्ट्रैटेजी और साझेदारी को और मजबूत किया गया। बागची ने कहा कि भारत और जापान के बीच विशेष रणनीतिक और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के दायरे में मल्टीडाइमेंशनल सहयोग है।

पिछला शिखर सम्मेलन 2018 में टोक्यो में हुआ था

पिछला शिखर सम्मेलन अक्टूबर 2018 में टोक्यो में हुआ था। विशेष सामरिक और अंतरर्राष्ट्रीय साझेदारी के दायरे में भारत और जापान के बीच बहुआयामी सहयोग है।एनालिस्टों का कहना है कि तब से अब तक क्षेत्रीय स्थिति में नाटकीय बदलाव आया है। टेम्पल यूनिवर्सिटी के टोक्यो परिसर में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के एसोसिएट प्रोफेसर जेम्स ब्राउन के मुताबिक भारत के साथ द्विपक्षीय सबंध जापानी नजरिए से काफी अहम हैं, क्योंकि टोक्यो समझ रहा है कि उसके लिए मात्र अमेरिका का सैन्य सहयोगी होना पर्याप्त नहीं है।

अगले साल मार्च में छह भारतीय लड़ाकू विमान सुखोई जापान जाएंगे

जापानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज के विश्लेषक बताते हैं, ‘जापान के स्वतंत्र व खुला इंडो-पैसिफिक क्षेत्र सुनिश्चित करने के अभियान में भारत सबसे अहम भागीदार है।’ इस रिश्ते को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय वायुसेना अगले साल संयुक्त अभ्यास में 6 सुखोई लड़ाकू विमानों को जापान भेजेगी।

ब्राउन के मुताबिक चीन को लेकर ऑस्ट्रेलिया के अनुभव से भी सबक सीखा जा सकता है। वह राजनीतिक और आर्थिक दबाव के बावजूद खुद को चीन से अलग करने में कामयाब रहा। बीजिंग ने अपने ‘भेड़िया योद्धा’ राजनयिकों को हर अवसर पर ऑस्ट्रेलिया को बदनाम करने के लिए तैनात किया। फिर भी ऑस्ट्रेलियाई स्पष्ट रूप से क्वाड सदस्य के रूप में सुरक्षित महसूस करता है।