कोरोना से निपटने में कहां है यूएन का प्रभावशाली रेस्पॉन्स

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार शाम संयुक्त राष्ट्र की आमसभा को संबोधित किया। अपने भाषण की शुरूआत से ही प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र पर सीधे तौर पर हमलावर रहे। उन्होंने पूछा कि पिछले 8-9 महीने से पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? एक प्रभावशाली रेस्पॉन्स कहां है?

प्रधानमंत्री ने सुझाव भी दिए : प्रतिक्रियाओं और व्यवस्थाओं के स्वरूप में बदलाव समय की मांग

करीब 22 मिनट चले अपने इस भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र पर कई सवाल उठाए और सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव और स्वरूप में बदलाव आज समय की मांग है। भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र में सुधार को लेकर जो प्रक्रिया चल रही है, उसके पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोगों को चिंता है कि क्या ये प्रोसेस कभी सही अंजाम तक पहुंच पाएगा?

उस समय और आज भी, प्रयास क्या पर्याप्त थे?

पीएम मोदी ने कहा, कहने को तो तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ, लेकिन इस बात को नकार नहीं सकते कि अनेक युद्ध हुए, अनेक गृहयुद्ध भी हुए। कितने ही आतंकी हमलों में खून की नदियां बहीं। इन युद्धों और हमलों में, जो मारे गए, वे हमारी-आपकी तरह इंसान ही थे। उस समय और आज भी, संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त थे?

कब तक स्ट्रक्चर से रखा जाएगा अलग

विश्व की एक बड़ी महाशक्ति के तौर पर भारत का अब तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में न होना हैरान करता है। प्रधानमंत्री ने भी अपने भाषण में इस उपेक्षा के प्रति इशारों-इशारों में अपना विरोध जाहिर किया। उन्होंने यूएन से सवाल किया कि आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के डिसिजन मेकिंग स्ट्रक्चर से अलग रखा जाएगा? प्रधानमंत्री ने कहा, जिस देश ने वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और वर्षों की गुलामी, दोनों को जिया है। जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है, आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा?

ये भी बोले पीएम मोदी

  • महामारी के मुश्किल समय में भी भारत की फार्मा इंडस्ट्री ने 150 देशों को दवाइयां भेजी हैं। आज मैं आज वैश्विक समुदाय को एक और आश्वासन देना चाहता हूं कि भारत की वैक्सीन प्रोडक्शन और डिलिवरी की क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के काम आएगी।
  • हम भारत में और अपने पड़ोस में फेज थ्री क्लीनिकल ट्रायल पर बढ़ रहे हैं। वैक्सीन की डिलिवरी के लिए कोल्ड चेन और स्टोरेज की क्षमता बढ़ाने में भारत सभी की मदद करेगा।
  • अगले साल जनवरी से भारत सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य के तौर पर भी अपनी जिम्मेदारी निभाएगा। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने की प्रतिष्ठा और इसके अनुभव को हम विश्व हित के लिए इस्तेमाल करेंगे।
  • हमारा मार्ग जनकल्याण से जगकल्याण का है। भारत की आवाज हमेशा शांति सुरक्षा और समृद्धि के लिए उठेगी।