पूरन मेश्राम/ छत्तीसगढ़ क्राइम्स
मैनपुर। शनिवार को मैनपुर से 40 किलोमीटर दूर इंदागांव में जंगल से एक हिरण पहुंचा था, आखिर यह हिरण जंगल छोड़कर गांव की और क्यू आया था दरअसल वह हिरण प्यासा था और जंगल में वन्य प्राणियो के लिए जो पेयजल के संसाधन वें सारे इस भीषण गर्मी में सुख गए और जिस विभाग को इन वन्य जीवों के सुधि लेना चाहिए वह सिर्फ खानापूर्ति कर अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री करने पर आमादा हैं।
जंगलों में वन्य जीवों के लिए गर्मियों में पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है प्यासे वन्य जीव अपनी प्यास बुझाने अपनी जान जोख़िम में डालकर गांवो की और जाने मजबूर हैं। अपनी प्यास बुझाने शनिवार को तहसील मुख्यालय मैनपुर से 40 किलोमीटर दूर ग्राम इंदागांव मे एक हिरण पानी की तलाश मे भटकते हुए गांव के भीतर पहुंचा था, प्यासा हिरण पानी की तालाश में गांव तो पहुंच गया पर उसे अपनी प्यास बुझाने से पहले गांव के खूंखार कुत्तों से दो चार होना पड़ा, जैसे ही गांव के कुत्तों ने हिरण को देखा उसे घेर कर अपना शिकार बनाने कुत्तो ने दौड़ाया वयस्क हिरण थक गया था ।
कुत्तों और हिरण के बीच जो जिंदगी बचाने की जंग चल रही थी उसे गांव के जागरूक ग्रामीणों ने देखा और हिरण की जान बचाने वें सामने आए और कुत्तों को खदेड़ते हुए हिरण की जान बचाई वरना गांव के कुत्ते उसे अपना शिकार बना ही देते। इसकी जानकारी वन विभाग को दिया गया । इस बीच प्यासा हिरण पानी तक जैसे तैसे पहुंचा और थके हारे वयस्क हिरण ने अपनी प्यास बुझाई और कुछ देर वहां ठहर कर फिर जंगल की और दौड़ लगा दी। यहां पर यह सवाल खड़ा होता है कि अगर वन विभाग के अमले ने वन्य जीवों के पानी की व्यवस्था जंगल में कर दी होती तो शायद हिरण को यूं अपनी जान जोख़िम में डाल कर पानी की तालाश में गांव आना नही आना पड़ता।
बहरहाल इस बार तो जागरूक ग्रामीणों के चलते एक हिरण सकुशल जंगल लौट गया पर अगर वन विभाग ने वन्य जीव के लिए पानी की व्यवस्था जंगल के अन्दर नहीं किया तो ऐसे भी मामले सामने आ सकते जिसमें खूंखार वन्य जीवों के शिकार गांव के ग्रामीण भी हो सकते है।