इंटरनेट जगत का ये बादशाह.. आज होने जा रहा हमेशा के लिए दुनिया से विदा, जानिए क्या रही वजह

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नई दिल्ली। Microsoft का 27 साल पुराना इंटरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer) आज 15 जून से पूरी तरह से बंद हो रहा है। इंटरनेट एक्सप्लोरर को 1995 में विंडोज 95 के रूप में लॉन्च किया गया था। उस दौर में इसे खरीदना पड़ता था लेकिन इसके बाद के वर्जन फ्री आने लगे थे और इन्हें डाउनलोड कर या फिर इन-सर्विस पैक के रूप में उपलब्ध कराया जाने लगा था। साल 2000 के आसपास इस वेब ब्राउजर की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि साल 2003 में इसका 95 फीसदी उपयोग किया जाता था। आइए जानते हैं कि आखिर इसे क्यों बंद किया जा रहा है।

कैसे आया इंटरनेट एक्सप्लोरर बंद होने की कगार पर?

लगभग तीन दशक पुराना ब्राउज़र 2003 में 95 प्रतिशत उपयोग हिस्सेदारी पर पहुंच गया। हालांकि, इंटरनेट एक्सप्लोरर अपनी स्थिति को बनाए नहीं रख सका और इसके यूजर बेस में भारी गिरावट शुरू हो गई क्योंकि अन्य प्रतियोगियों ने बेहतर यूजर इंटरफेस, हाई इंटरनेट स्पीड और नए ब्राउज़र जारी किए। इंटरनेट एक्सप्लोरर, समय के साथ, एक डिफ़ॉल्ट ब्राउज़र में विकसित हो गया है जिसका उपयोग अन्य ब्राउज़रों को इंस्टाल करने के लिए किया जाता रहा। माइक्रोसॉफ्ट एज प्रोग्राम मैनेजर ने कहा कि इंटरनेट एक्सप्लोरर मोड को माइक्रोसॉफ्ट एज में शामिल किया गया है, जिससे आप पुराने इंटरनेट एक्सप्लोरर-आधारित वेबसाइटों और एप्लिकेशन को सीधे माइक्रोसॉफ्ट एज से देख सकते हैं।

गूगल क्रोम है सबसे ज्यादा यूज होने वाला ब्राउज़र

2022 में मई तक की एक रिपोर्ट अनुसार कंप्यूटर पर यूज होने वाले वेब ब्राउज़र के बाज़ार में अकेले गूगल क्रोम का 70.67 प्रतिशत हिस्सा है। इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट एज का 14.77 प्रतिशत, फायरफ़ॉक्स का 4.86 प्रतिशत हिस्सा, इंटरनेट एक्स्प्लोरर का 1.53 प्रतिशत, सफारी का 2.63 प्रतिशत और ओपेरा का 1.40 प्रतिशत हिस्सा है। वहीं मोबाइल ब्राउज़र में भी क्रोम का 66.25 प्रतिशत हिस्सा है, सफारी का 17.64 प्रतिशत, सैमसंग इंटरनेट का 6.92 प्रतिशत है। बता दें कि इंटरनेट एक्स्प्लोरर मोबाइल के लिए कभी उपलब्ध ही नहीं था। साफ है गूगल क्रोम ने इंटरनेट एक्स्प्लोरर से उसकी बादशाहत छीन ली है। इंटरनेट एक्स्प्लोरर जिसका कभी पूरी दुनिया में 95 प्रतिशत हिस्सा था अब उसका 2 प्रतिशत से भी कम हिस्सा रह गया है।