मैनपुर। वैसे तो आदिम जनजाति कमार परिवारों की दशा और दिशा बदलने के लिए शासन प्रशासन कृत संकल्पित होने का दावा तो करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करता है।सरकारी योजनाओं का लाभ इन परिवारों तक पहुंच रहा है कि नहीं इसको जानने और समझने की शायद ही कोशिश किया जाता हैं। इस ख़बर से ही आंकलन किया जा सकता है कि कमार जनजाति का जीवन बसर कैसे चल रहा है।
विकासखंड मुख्यालय मैनपुर से लगभग 40 मीटर की दूरी पर बसा हुआ ग्राम पंचायत कोचेंगा के आश्रित ग्राम भाँठापानी में निवासरत आदिम जनजाति कमार परिवार लिम्बू राम पिता सूना राम अपने परिवार के साथ रात को झोपड़ी में नीचे सो रहे थे।अचानक भंयकर बारिश आंधी तूफान होने के कारण एक विशालकाय सरई का सूखा पेड़ उसके झोपड़ी में गिर जाने से परिवार बाल-बाल बच गए नहीं तो गंभीर हादसा भी हो सकता था कहते हैं मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है।
प्राथमिकता के तौर पर इन परिवारों के लिए सरकार पक्का छत का मकान दे दिया होता तो आज ऐसी नौबत से गुजरना नहीं पड़ता लेकिन ऐसे परिवारों के लिए कहां सरकारी पक्का छत का मकान नसीब होगा।
बारिश के दिनों में झोपड़ी जर्जर हो जाने के कारण दुबारा मरम्मत के लिए भी व्यवस्था नहीं कर पाने वाला लिंबू राम प्रशासन से 6-4 के तहत सहायता राशि उपलब्ध कराने के लिए जिला के कलेक्टर से मांग किया है।