कोरोेना को हराने यूनिसेफ और एनएसएस छत्तीसगढ़ ने मिलाया हाथ

छत्तीसगढ़ में द ब्लू ब्रिगेड अभियान का किया शुभारम्भ

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना को हराने के लिए यूनिसेफ और राष्ट्रीय सेवा योजना ने हाथ मिलाया है। दोनों संस्थाओं ने महिलाओं और बच्चों की सहायता के लिए द ब्लू ब्रिगेड अभियान की शुरूआत की है। ब्लू ब्रिगेड ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लोगों को स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक सेवाओं का लाभ लेने में मदद करेंगे। स्वयंसेवक प्रत्यक्ष रूप से और सोशल मीडिया के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी साझा करेंगे और बच्चों से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाएंगे। बाल संरक्षण, बाल विवाह, बाल श्रम, बाल तस्करी और बाल शोषण जैसी घटनाओं को रोकने के लिए भी ब्लू ब्रिगेड स्वयंसेवकों द्वारा प्रयास किये जायेंगे। राज्य के 28 जिलों के 425 कॉलेजों और 7 विश्वविद्यालयों में लगभग 96,000 एनएसएस स्वयंसेवक मौजूद हैं। अभियान के अंतर्गत 3 महीने की अवधि में लगभग 10 लाख लोगों तक (आॅफलाइन और आॅनलाइन माध्यम से) पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है।

महत्त्वपूर्ण मंच बनेगा अभियान : जकरिया

छत्तीसगढ़ में यूनिसेफ के प्रमुख जॉब जकरिया का कहना है कि कोरोना महामारी के इस कठिन समय में नए दृष्टिकोण और नवाचार की आवश्यकता है। युवा शक्ति समाज में बेहतर परिवर्तन लाने में और समाज को नयी दिशा देने में सक्षम है। वे अपनी सकारात्मक ऊर्जा और रचनात्मक सोच के साथ सामाजिक मुद्दों को हल करने का प्रयास कर सकते हैं। ब्लू ब्रिगेड अभियान युवाओं की आवाज बुलंद करने और उनमे नेतृत्व क्षमता विकसित करने का एक महत्त्वपूर्ण मंच बनेगा।

सीखने का अवसर मिलेगा : डॉ समरेंदर

एनएसएस छत्तीसगढ़ के प्रमुख डॉ समरेंदर सिंह ने कहा कि इस अभियान में पूरे राज्य से 10,000 – 15,000 से अधिक एनएसएस स्वयंसेवक शामिल होंगे। इस अभियान से स्वयंसेवकों को महिलाओं और बच्चों की भलाई के लिए काम करने और महिलाओं और बच्चों से संबंधित मुद्दों पर यूनिसेफ की वैश्विक विशेषज्ञता से सीखने का एक अनूठा अवसर मिलेगा। इस अभियान से जुड़कर एनएसएस स्वयंसेवकों को अपनी फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, रचनात्मक लेखन, संचार क्षमता सुधारने का मौका मिलेगा। बच्चों को उनका अधिकार दिलाने के लिए किये प्रयासों के विषय पर स्वयंसेवक प्रिंट, वीडियो और आॅडियो फॉर्मेट में कहानियां विकसित करेंगे। अभियान के शुभारम्भ कार्यक्रम में यूनिसेफ बाल संरक्षण विशेषज्ञ चेतना देसाई, कार्यक्रम समन्वयक नीता बाजपेयी, और एनएसएस स्वयंसेवकों ने भी भाग लिया।