केरल में देश का पहला फुल आर्म ट्रांसप्लांट ​​​​​​​: इलेक्ट्रिक शॉक की वजह से गंवाए थे हाथ

Chhattisgarh Crimes

कोच्चि। केरल के कोच्चि में एक प्राइवेट हॉस्पिटल ने देश में पहली बार एक पेशेंट का फुल आर्म ट्रांसप्लांट करने में सफलता हासिल की है। जिस पेशेंट्स का आर्म ट्रांसप्लांट किया गया, वह इराकी नागरिक यूसुफ हसन सईद अल जुवैनी है। उन्होंने बिजली का झटका लगने की वजह से अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे।

29 साल के यूसुफ हसन को रोड एक्सीडेंट का शिकार हुई महिला डोनर के हाथ लगाए गए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उनकी रिकवरी रेट अच्छी है। यूसुफ हसन 2019 में एक दीवार को ड्रिल कर रहे थे। इस दौरान उन्हें एक हाई-वोल्टेज इलेक्ट्रिक केबल से बिजली का झटका लगा। डॉक्टरों को उनकी जान बचाने के लिए दोनों हाथों को कोहनी से काटना पड़ा।

3 साल बाद ट्रांसप्लांटेशन के लिए रजिस्ट्रेशन कराया

हादसे के छह महीने बाद यूसुफ हैंड ट्रांसप्लांटेशन के बारे में जानने के लिए कोच्चि के अमृता अस्पताल पहुंचे। उन्होंने जुलाई 2021 में केरल ऑर्गन शेयरिंग (KNOS) में ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। इधर, केरल के अलाप्पुझा की रहने वाली 39 साल की एक महिला अंबिली के एक्सीडेंट हो गया था। अंबिली को अमृता अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।

बाद में अंबिली का परिवार उनके अंगों को दान करने के लिए तैयार हो गया। 2 फरवरी, 2022 को डॉ. अय्यर और डॉ. शर्मा के नेतृत्व में 16 घंटे की सर्जरी में अंबिली के हाथों को यूसुफ से जोड़ा गया। डॉ अय्यर ने बताया कि दोनों हाथों को कंधे के लेवल पर जोड़ा जाना था। कुछ ब्लड वेसेल्स को जोड़ना कठिन था, लेकिन इसे ठीक कर लिया गया। यूसुफ को 3 हफ्ते बाद डिस्चार्ज कर दिया गया।

18 घंटे तक चली सर्जरी में हाथ ट्रांसप्लांट किए

इस साल जनवरी में भी अमृता हास्पिटल में एक पेशेंट के हैंड ट्रांसप्लांट किए गए थे। कर्नाटक के 25 साल के अमरेश को सितंबर 2017 में केबल की मरम्मत के दौरान बिजली का झटका लगा था। इलेक्ट्रिक शॉक की वजह से उनके हाथ में कई फ्रैक्चर और जलने का निशान था। डॉक्टरों को जान बचाने के लिए उनके दोनों हाथ काटने पड़े। जहां दाहिने हाथ को कोहनी से, जबकि बाएं हाथ को कंधे के पास से काटना पड़ा।

अमरेश ने बाद में अमृता अस्पताल की हैंड ट्रांसप्लांटेशन टीम से संपर्क किया और सितंबर 2018 में केरल नेटवर्क फॉर ऑर्गन शेयरिंग (KNOS) में ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन के लिए रजिस्टर कराया। यहां डॉ सुब्रमण्यम अय्यर और डॉ मोहित शर्मा के नेतृत्व में 20 सर्जन और 10 एनेस्थेटिस्ट्स वाली टीम ने सर्जरी की। यह जटिल सर्जरी करीब 18 घंटे तक चली।

एक्सीडेंट का शिकार हुआ था डोनर

अमरेश को लगाए गए हाथ 54 साल के विनोद के हैं। विनोद एक खाड़ी देश में काम करते थे। वे साल 2017 में केरल के कोल्लम जिले में अपने घर जा रहे थे, इस दौरान उनकी मोटरसाइकिल एक बस से टकरा गई। विनोद को सिर में गंभीर चोट लगी और उन्हें तिरुअनंतपुरम के सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया।

डॉक्टरों ने विनोद को 4 जनवरी 2022 को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। विनोद के परिवार ने उनकी मौत के बाद सभी अंगों को दान करने के इजाजत दे दी। विनोद के दान किए हाथों को इसी साल 5 जनवरी को अमृता अस्पताल ले जाया गया।

दुनिया भर में ऐसी केवल 3 सर्जरी हुई

अमृता अस्पताल में सेंटर फॉर प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के हेड डॉ अय्यर ने कहा कि कंधे के स्तर का फुल आर्म ट्रांसप्लांटेशन काफी जटिल है। दुनिया में केवल तीन कंधे के स्तर के फुल आर्म ट्रांसप्लांटेशन किए गए हैं, और यह भारत में पहला है।

अमरेश की सर्जरी सफल रही। बाद में ब्लड सप्लाई में थोड़ी समस्या हुई, जिसे ठीक कर लिया गया। सर्जरी के तीन हफ्ते बाद अमरेश को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अमृता अस्पताल की डॉ. अय्यर के नेतृत्व वाली सर्जरी टीम ने जनवरी 2015 में पहली बार हैंड ट्रांसप्लांटेशन किया था। इस अस्पताल में अब तक 11 हैंड ट्रांसप्लांटेशन किए जा चुके हैं।