गरियबन्द । अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय आह्वान पर केन्द्र सरकार द्वारा लाये गए कारपोरेट हितैषी तथा किसान, कृषि व आम उपभोक्ता विरोधी कानून को रद्द करने और बिजली संशोधन बिल 2020 को सदन में न लाने की मांग को लेकर किसानों ने घोडारी पूल के पास नेशनल हाइवे में चक्काजाम कर विरोध प्रदर्शन किया। चक्काजाम के पूर्व किसानों ने नेशनल हाइवे के बाजू में सभा का आयोजन किया गया और सभा को संबोधित करते हुए किसान भुगतान संघर्ष समिति के संयोजक व जिला पंचायत सदस्य जागेश्वर जुगनू चन्द्राकर ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा लाये गए कथित कृषि कानून किसान, कृषि आम उपभोक्ता विरोधी और कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने वाली कानून है। इस कानून का विरोध अध्यादेश लाये जाने के समय से ही हो रहा है जो एक देशव्यापी किसान आंदोलन का स्वरूप ले चुका है। देश भर के 360 से अधिक किसान संगठनों के समन्वय से बनी अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय आह्वान पर छत्तीसगढ़ में किसानों, मजदूरों व प्रगतिशील सामाजिक संगठनों जैसे 25 संगठन छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ में शामिल है जो लगातार किसानों के हित में लड़ाई लड़ रही है।
गोविन्द चन्द्राकर ने कहा कि जब कांग्रेस पार्टी विपक्ष में थी तब उन्होंने प्रदेश में एक नवम्बर से समर्थन मूल्य में धान खरीदी व्यवस्था को को लागू करने का वकालत की थी। एक एक दाना धान खरीदने की मांग करती थी, परन्तु जब सत्ता में है तब किसानों के माँगो की ओर ध्यान नहीं दे रही है। एक नवम्बर से धान खरीदी शुरू करना था लेकिन नहीं किया। छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र में पंजाब के तर्ज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी कानून बनने की उम्मीद थी लेकिन सरकार ने हमे निराश किया है।
अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के राज्य सचिव तेजराम विद्रोही ने कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार किसानों को सभी जगह उनके उपज का स्वामीनाथन आयोग के सी 2 फार्मूला के आधार पर वास्तविक लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने के मूड में नहीं है। राज्य में भाजपा धान खरीदी के नाम पर केवल राजनीति ही कर रही है क्योंकि जब वह सत्ता में थी तो 2015 में धान खरीदी की सीमा 25 क्विंटल प्रति एकड़ से घटाकर 10 क्विंटल प्रति एकड़ कर दिया था और किसान आन्दोलन के दबाव में 14 क्विंटल 80 किलो प्रति एकड़ किया जो आज भी जारी इस प्रकार 10 क्विंटल प्रति एकड़ का नुकसान भाजपा की सरकार ने किया था। चक्काजाम पश्चात माननीय राष्ट्रपति छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के नाम अनुविभागीय अधिकारी महासुन्द को ज्ञापन सौंपा। धरना सभा एवं चक्काजाम में भीखम चन्द्राकर, टीकम चन्द्राकर, उत्तम कुमार, जहुर राम, पवनकुमार, रेखुराम, सोमन यादव, होरीलाल, नंदू ध्रुव, कोमल साहू, खेमुराम बघेल, भारत चन्द्राकर, बिसहत राम, ओम लाल, संतुराम, लक्ष्मण चन्द्राकर, जवालसिंह, डोमन, गैन्दू राम, लिकेश नेताम, लक्ष्मीनाथ चन्द्राकर, सुरेन्द्र चन्द्राकर, जगदीश कुमार, प्रवीण चन्द्राकर, सोहन पटेल, देवदत्त चन्द्राकर, सचिन गायकवाड़, छन्नू ध्रुव, डोमन चन्द्राकर सहित महासुन्द व गरियाबंद जिला के सैकड़ों किसान सम्मिलित रहे।