इनसे सीधे युवाओं का भविष्य जुड़ा हुआ है। कई दफा फर्जी एपलीकेंट जैसे मामले सामने आए हैं। ऐसे में ये फैसला महत्वपूर्ण है। अब फॉर्म भरने के दौरान ही अभ्यर्थियों को ई-केवाईसी कराना होगा। इससे दोनों संस्थानों के पास एपलीकेंट से जुड़ा डेटा पहुंच जाएगा।
इससे परीक्षा केन्द्रों पर आधार डिटेल से मिलान के बाद ही एपलीकेंट को परीक्षा में शामिल होने दिया जाएगा। सरकार की मंशा है कि इससे डुप्लीकेट, फर्जी और भ्रामक पहचान से जुड़े मामले पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे।