डोंगरगढ़. ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक बहिष्कार और आर्थिक दंड की परंपरा अब भी कई जगहों पर मौजूद है, जो किसी की भी जिंदगी को तबाह करने का कारण बन सकती है. भले ही सरकारें ‘सामाजिक बहिष्कार प्रतिबंधक अधिनियम’ जैसे कानून लागू कर चुकी हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है. ताजा मामला राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ विकासखंड से आया है, जहां 160 रुपए की शराब को 200 में बेचने के आरोप पर ग्रामीणों ने एक व्यक्ति पर भारी जुर्माना ठोका है.
डोंगरगढ़ के नवागांव, मेढ़ा निवासी रेखराम देवांगन ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि 30 अक्टूबर की रात देवानंद वर्मा, राजेश वर्मा, और डिकेश वर्मा उनके घर आए और जबरन शराब पिलाने की मांग करने लगे. रेखराम के इनकार करने पर उन्होंने गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी दी. हालांकि यह मामला यहीं शांत नहीं हुआ. अगले दिन आरोपियों ने रेखराम पर अवैध शराब बेचने का आरोप लगाते हुए पंचायत बुलाई. इस पंचायत में रेखराम पर 21 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया, जबकि आरोपियों को केवल 200 रुपए का दंड दिया गया.
जुर्माना देने से मना करने पर सामाजिक बहिष्कार की धमकी
रेखराम का कहना है कि जब उन्होंने जुर्माना देने से इंकार किया तो ग्रामीणों ने उन्हें गांव से निकालने और सामाजिक बहिष्कार की धमकी दी. परेशान होकर उन्होंने डोंगरगढ़ थाने में शिकायत दर्ज कराई. गांव की पंचायत में मौजूद उप सरपंच मदन लाल सिन्हा का कहना है कि रेखराम कई सालों से अवैध शराब बेच रहा था, लेकिन ग्रामीण इसे नजरअंदाज करते रहे. दीपावली के पहले रेखराम ने शराब के अधिक पैसे मांगने पर देवानंद वर्मा को डंडे से मारने की कोशिश की थी. इसी के बाद पंचायत बुलाई गई और दोनों पक्षों पर दंड लगाया गया.
झूठे आरोप लगाकर परेशान कर रहे : रेखराम
वहीं रेखराम का दावा है कि यह सब उनके खिलाफ षड्यंत्र है. उनका कहना है कि उनके खिलाफ आज तक कोई मामला दर्ज नहीं हुआ और ग्रामीण उन्हें झूठे आरोप लगाकर परेशान कर रहे हैं. इस पूरे घटनाक्रम ने प्रशासन और पुलिस को भी उलझन में डाल दिया है. ग्रामीण बड़ी संख्या में थाने पहुंचकर रेखराम पर शराब बेचने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि रेखराम अपनी बेगुनाही साबित करने में जुटे हैं.