यू हीं कांग्रेस के बड़े ‘संकट मोचक’ नहीं थे अहमद पटेल, इंदिरा से लेकर सोनिया तक करती थीं अपने इस ‘चाणक्य’ पर भरोसा

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नई दिल्ली। कांग्रेस के दिग्गज नेता और बड़े रणनीतिकार अहमद पटेल अब इस दुनिया में नहीं रहे। 71 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। वो करीब एक महीने पहले कोरोना से संक्रमित हुए थे, इसके बाद से उनका इलाज चल रहा था। अहमद पटेल के बेटे फैजल पटेल ने ट्वीट करके उनके निधन की जानकारी दी। अहमद पटेल को कांग्रेस का संकटमोचक ही नहीं माना जाता था बल्कि वो पार्टी के ‘चाणक्य’ भी थे। यही वजह है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का उन पर पूरा भरोसा था।

हमेशा पर्दे के पीछे से करते थे राजनीति, गांधी परिवार के थे बेहद विश्वस्त

राजनीतिक हलकों में अहमद भाई के नाम से मशहूर अहमद पटेल कांग्रेस पार्टी के मुख्य रणनीतिकार ही नहीं थे, बल्कि पार्टी पर आए बड़े संकट के समय उन्होंने खुद से इसे टालने में अहम भूमिका निभाई। हमेशा पर्दे के पीछे से राजनीति करने वाले अहमद पटेल गांधी परिवार के बेहद करीबी और विश्वस्त नेताओं में गिने जाते थे। मौजूदा दौर में वो अपनी बात सीधे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ ही साझा करते थे। अहमद पटेल लंबे समय तक सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव रहे।

तीन बार लोकसभा और पांच बार राज्यसभा पहुंचे

नेहरु-गांधी परिवार के वफादार अहमद पटेल ने संसद में सात बार गुजरात का प्रतिनिधित्व किया। वह तीन बार लोकसभा सदस्य चुने गए और पांच बार राज्यसभा सदस्य बनकर संसद पहुंचे। 71 वर्षीय पटेल के लिए पांचवीं बार राज्यसभा में जगह बनाने की राह बेहद चुनौतीपूर्ण रही। हालांकि, वो इसमें भी कामयाब रहे।

26 साल की उम्र में बने सांसद, गुजरात में कांग्रेस को मजबूत करने में निभाई अहम भूमिका

अहमद पटेल ने गुजरात में कांग्रेस को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। अहमद पटेल ने खुद मेहनत के बल पर अपने सियासी जमीन मजबूत की। उनका जन्म गुजरात में भरुच जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। उन्होंने सबे पहले यूथ कांग्रेस के लिए काम किया और बाद में इसके प्रदेश अध्यक्ष बने थे। पटेल की आयु महज 26 साल थी जब 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें भरुच से लोकसभा चुनाव लड़ने को कहा था। इस चुनाव में पार्टी को जीत हासिल हुई थी।

1993 में राज्यसभा सदस्य चुने गए, अब तक उच्च सदन में किया कांग्रेस का प्रतिनिधित्व

इसके बाद फिर अहमद पटेल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा, साल 1980 और 1984 में भी वो लोकसभा चुनाव जीते। बाद में 80 के दशक के आखिर में गुजरात में हिंदुत्व की लहर मजबूत हुई और बीजेपी सूबे में मजबूत स्थिति में आ गई। इस बीच 1990 में पटेल लोकसभा चुनाव हार गए थे। इसके बाद 1993 में उन्हें पार्टी ने राज्यसभा भेजा और फिर वो संसद के उच्च सदन के सदस्य रहते हुए दिल्ली आ गए। इसके बाद पटेल 1999, 2005, 2011 और 2017 में उच्च सदन के ही सदस्य रहे।

2004 में यूपीए के गठन में निभाई खास भूमिका, केंद्र में मंत्री बनने से कर दिया था इनकार

2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद अहमद पटेल ने ‘संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन’ बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। पटेल ने सोनिया के विश्वास्त सहयोगी के तौर पर गठबंधन को मजबूत किया। उन्होंने कांग्रेस के संसदीय सचिव, कोषाध्यक्ष और गुजरात इकाई के अध्यक्ष के तौर पर अलग-अलग जिम्मेदारियों को उठाया। अहमद पटेल ने खुद बताया था कि उन्हें राजीव गांधी की सरकार में मंत्री पद आॅफर हुआ था। मनमोहन सिंह सरकार में भी उन्हें दो बार मंत्री पद आॅफर किया गया था। हालांकि, उन्होंने सरकार में रहने के बजाय पार्टी के लिए काम करना बेहतर समझा।

जब पीएम मोदी ने साधा था अहमद पटेल पर निशाना

अहमद पटेल की गुजरात में मजबूत की वजह से ही अकसर बीजेपी लोकसभा या फिर विधानसभा चुनाव में उन्हें घेरने का काम करती थी। कांग्रेस पार्टी से ज्यादा बीजेपी नेता अहमद पटेल पर हमले किया करते थे। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली में अहमद पटेल पर कई सियासी वार किए थे। चुनावी रैली में मोदी ने आॅगस्टा वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे का जिक्र करते हुए बड़ा आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि हेलीकॉप्टर सौदे में जिन लोगों पर रिश्वत लेने के आरोप हैं उनमें एक का नाम ‘एपी’ और दूसरे ‘एफएएम’ है। ‘एपी’ का मतलब था अहमद पटेल और ‘एफएएम’ का फैमिली। उन्होंने कहा था कि आप खुद अंदाजा लगा लीजिए कि अहमद पटेल कौन हैं और किस फैमिली के करीबी हैं।