विधायक विक्रम शाह मंडावी ने अजय मोडियम को बधाई एवं शुभकामनाएं दी
बीजापुर। बीजापुर जिले से 60 किलोमीटर अंदर जंगल और उबड़-खाबड़ रास्तों को पार करते हुए चिल्कापल्ली पहुंचा जा सकता है। ये गांव प्रदेश के एक नए डिप्टी कलेक्टर का गांव है। यहां न बिजली है न ही मोबाइल का नेटवर्क आसानी से मिलता है। फिर भी इस माटी से उठकर एक युवा ने अपने सपने को पूरा करने की जिद के तहत पहली बार में ही CGPSC क्रैक कर लिया। इस गांव के अजय मोडियम ने ओवरऑल 98 और ST कैटेगरी में पहली रैंक हासिल की है। अजय को डिप्टी कलेक्टर का पद दिया जा सकता है। पोस्ट अलॉटमेंट की लिस्ट एक से दो दिनों के भीतर लोक सेवा आयोग जारी करेगा।
अजय ने बताया कि उन्होंने स्कूलिंग चिन्ताकुन्टा प्राथमिक शाला में पूरी की। अजय के परिवार में पिता कृष्णैया, माता नागी खेती बाड़ी का काम करते हैं। बड़े भाई शिक्षक हैं तथा बड़ी बहन नर्स हैं। छठवीं से 12वीं तक की पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय, बारसूर में की। 2014 में अजय NIT रायपुर में चयनित होकर 2018 तक इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद PSC की पढ़ाई में जुट गए। अजय ने बताया कि रायपुर में कॉलेज में पढ़ने के दौरान लगा कि कैसे हम यहां बैठकर चांद पर जाने की बातें कर रहे हैं। बस्तर के अंदरूनी इलाकों में तो बच्चे स्कूल तक नहीं जा पाते। लगा कि कुछ करना है, इसलिए मैंने सिविल सर्विसेज में जाने की तैयारी की। सरकार से मदद मिली, मुझे UPSC की कोचिंग के लिए दिल्ली भेजा गया था। बाद में मैं बिलासपुर आकर CGPSC के लिए सेल्फ स्टडी करने लगा।
दूसरों के लिए कुछ करना है
अजय ने बताया कि NIT रायपुर में पढ़ाई के बाद मैं किसी कंपनी में इंजीनियर बन जाता- “मगर तब जो कुछ होता अपने लिए ही होता। मैं दूसरों के लिए कुछ नहीं कर पाता। मुझे तब लगा कि प्रशासनिक सेवा में रहकर लोगों के लिए कुछ कर सकता हूं। इसलिए CGPSC के लिए फोकस होकर तैयारी शुरू की। हमारे गांव में आज भी बिजली, सड़क और नेटवर्क की समस्या है। मेरे गांव के पास उसूर, तरेम, बासागुड़ा और सारकेगुड़ा नाम की जगह हैं, आए दिन ये इलाके नक्सलियों के हमले की वजह से सुर्खियों में रहते हैं। मैं पूरी कोशिश करूंगा कि आगे चलकर वहां के बच्चों की शिक्षा के लिए कुछ बेहतर कर पाऊं। अभी भी मौका मिलता है तो मैंने जो कुछ सीखा है वहां के साथियों से साझा करता हूं”।
प्लानिंग और रिविजन से मिली कामयाबी
बिलासपुर में रहकर अजय खुद ही CGPSC की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने कोचिंग जॉइन नहीं की। अजय ने बताया कि उन्होंने इंग्लिश मीडियम लेकर तैयारी की थी तो नोट्स या स्टडी मटेरियल मिलने में समस्या आती रही- “रायपुर में भी स्टडी मटेरियल नहीं मिल पाते थे। ऐसे में इग्नू के स्टडी मटेरियल मेरे काम आए। इंटरनेट पर फिलोसफी से जुड़े कंटेट मिल जाया करते थे। इसके अलावा हर रोज पढ़ना और रिवाइज करते रहने को मैं अपनी कामयाबी के पीछे की बड़ी वजह मानता हूं”।