गरियाबंद। बीते दिनों चक्रवाती तूफान ने राजीव गोद ग्राम कुल्हाड़ीघाट में जमकर तांडव मचाया था जिसमे घर के कवेलू व सीमेंट सीट से निर्मित 60 मकानों में जबरदस्त छति पहुचा था।जंगल के अंदर चारो ओर से पहाड़ियों के बीच बसे स्वर्गीय राजीव गांधी के गोद ग्राम कुल्हाड़ीघाट में विशेष पिछड़ी कमार जनजाति के गरीब लोग निवास करते है।जिनकी आय का जरिया जंगल में मिलने वाले वनोपज के साथ बांस का बर्तन बनाकर बेचना उनका मुख्य कार्य है।
बीते दिनों आये चक्रवाती तूफान ने कुल्हाड़ीघाट का नक्शा ही बदल दिया था। जिसकी सुध लेने कमार परियोजना के अधिकारी सहायक आयुक्त बदरीश सुखदेवे ने कुल्हाड़ीघाट पहुचकर बीते दिनों आये चक्रवाती तूफान से इन विशेष पिछड़ी जनजाति को हुए नुकसान का जायजा लिया उन्होंने चक्रवाती तूफान से विशेष पिछड़ी जनजाति को हुए नुकसान का आकलन कर कमार परियोजना से मदद करने का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि यहां हुए नुकसान का सर्वे कर इसकी जानकारी शासन तक पहुचाया जाएगा।विशेष पिछड़ी जनजाति को हुए नुकसान का मुआवजा दिलाने की भी बात कही है। गरियाबंद के सहायक आयुक्त बदरीश सुखदेवे ने गांव में घूम घूम कर हर मकान की छति का आकलन किया साथ ही उन्होंने इस दौरान गांव के बच्चों को चाकलेट बाटा वही सहायक आयुक्त द्वारा ग्राम कुल्हाड़ीघाट मे आदिवासी बालक व बालिका आश्रम का भी निरीक्षण करते हुए आश्रम शाला में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने आश्रम अधीक्षक को निर्देश दिया। सहायक आयुक्त ने आश्रम शाला के बच्चों से उन्हें मिल रही सुविधा की भी जानकारी ली तथा आश्रम अधीक्षक से शासन द्वारा बच्चों को मिलने वाली सुविधा के बारे में चर्चा भी की ।
उल्लेखनीय है कि ग्राम कुल्हाड़ीघाट उस दौर में सुर्खियों में आया जब वर्षो पहले भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी अचानक पूरे परिवार के साथ हेलिकॉप्टर से विशेष पिछड़ी जनजाति ग्राम कुल्हाड़ीघाट पहुचे थे। स्वर्गीय राजीव गांधी ने उस वक्त विशेष पिछड़ी जनजाति की समस्या को करीब से देखते हुए वहां एक बुजुर्ग कमार महिला के घर मे बैठकर महिला के हाथों से कंदमूल भी खाया था। उसके बाद से ही कुल्हाड़ीघाट को पूरा देश के लोग राजीव गोद ग्राम के रूप में जानने लगे। इस अवसर पर उनके साथ नागेंद्र राणा,आश्रम अधीक्षक सन्तोष मरकाम सहित कमार परियोजना के कर्मचारी मौजूद थे।