नई दिल्ली। सोते वक्त खर्राटे लेने वाले लोगों में कोरोना वायरस से मौत की संभावना तीन गुना ज्यादा होती है. यूनिवर्सिटी आफ वावरिक के वैज्ञानिकों ने आब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया और कोरोना वायरस के 18 अध्ययनों की समीक्षा की. इस स्टडी में उन्होंने पाया कि नींद में खरार्टे लेने वाले हॉस्पिटल में एडमिट कोरोना मरीजों में मौत का खतरा तीन गुना ज्यादा होता है.
क्यों आते हैं खर्राटे?
शोधकर्ताओं ने पाया कि नींद में गले की मांसपेशियों के रिलैक्स होने से उसका वायुमार्ग अस्थायी रूप से बंद हो जाता है, जिस वजह से लोगों को खरार्टे आने लगते हैं. हॉस्पिटल में एडमिट ऐसे मरीजों की जान को वायरस से ज्यादा खतरा होता है.
हाई रिस्क पर खर्राटे लेने वाले लोग
स्टडी के मुताबिक, डायबिटीज, मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों में ये समस्या बड़ी आम है. इन सभी बीमारियों में कोविड-19 से मौत का खतरा और भी ज्यादा होता है. ब्रिटेन में करीब 15 लाख लोग ‘आब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया’ के शिकार हैं, जिनमें से 85 प्रतिशत लोग डायग्नोज नहीं हुए हैं. अमेरिका में तो लगभग सवा दो करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में हैं.
मरीज की जान को कितना जोखिम?
वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना मरीजों की सेहत पर आॅब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के प्रभाव को समझने के लिए अभी और रिसर्च की जरूरत है. हालांकि, शोध की एक्सपर्ट मिशेल मिलर का कहना है कि रिसर्च का नकारात्मक प्रभाव सामने आने पर चौंकने की जरूरत नहीं है. आॅब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का कनेक्शन मोटापे जैसी उन सभी बीमारियों से है, जिनमें कोरोना मरीजों की जान को ज्यादा जोखिम होता है.
क्या सावधानियां बरतने की जरूरत?
इसलिए आब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के रोगियों को भी कोविड-19 की चपेट में आने पर ज्यादा सतर्कता बरतनी चाहिए. अपना इलाज अच्छे से करवाएं और जोखिम कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा सावधानी बरतें. मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द टेस्ट करवाएं. अपने इलाज को लेकर पहले ज्यादा सजगता अपनाएं.
ये भी है नुकसान
मिशेल मिलर कहती हैं कि कोविड-19 से आक्सीडेटिव स्ट्रेस और इनफ्लेमेशन की संभावना भी काफी बढ़ जाती है, जो शरीर में ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने वाले ब्रैडीकिनिन के रास्ते पर बुरा असर डालती है. आब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया में भी इस तरह की समस्या होती हैं.
10 में से 8 लोगों को खतरा
इस स्टडी में हिस्सा लने वाले एक्सपर्ट्स ने बताया कि आब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया से पीड़ित 10 में से 8 कोरोना मरीज हाई रिस्क पर होते हैं. डायबिटोलॉजी में एक शोध के मुताबिक, डायबिटीज और आब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के कारण 1,300 मरीजों में 7 दिन अस्पताल में एडमिट रहने के बाद मौत का खतरा 2.8 गुना बढ़ गया.