उम्मीद एक जन विश्वास और लोक कथा की बरसात की आश में हुआ बेंगचा विवाह

Chhattisgarh Crimes

किशन सिन्हा/छत्तीसगढ़ क्राइम्स

छुरा। छत्तीसगढ़ में बरसात का ना होना न केवल धान के फसल के मुरझाने का कारण है बल्कि लाखों हजारों किसानों की आशा और विश्वास के ऊपर खतरे का कारण भी है। लोगों की उम्मीदें, सपने और हजारों आशाएं बंधी होती है बरसात की टपकती बूंद के साथ, बरसात जिससे सिरजता है मिट्टी के भीतर से धान की फसल और एक दिन वही फ़सल लहलहा के सुनहरी बालियां देती है। हजारों लोगों के होठों पर मुस्कान और उनके सपनों को एक नहीं उड़ान, लेकिन मानसून ने अपना मुख समय के संग जैसे पूर्णत:मोड़ लिया है और लोगों की उम्मीद भी जैसे मुरझाने लगी है। लेकिन हम अगर ग्रामीण इलाके की बात करें तो छुरा विकासखंड के ग्राम कंसीघी में उन्होंने अपने उम्मीदों पर एक और नया कलेवर जोड़ा है जिसमें बरसात न होने पर पारंपरिक रूप से मेंढक मेंढकी का विवाह कर घोर निराशा के माहौल में पारम्परिक बाजे गाजे और आधुनिक डीजे बजा कर बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ विवाह संपन्न कर पुरे गांव वालों को भर पेट भोजन व्यवस्था कराई गई।

माहौल देख ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो कोई मालगुजार अपने एकलौते संतान का विवाह संपन्न करा रहा हो और कोई भी कसर वह बाकी न रखना चाह रहा हो, बीते रविवार को लगातार दो दिन चले यह उत्सव निश्चित तौर पर देखने लायक था । विवाह स्थल का रंग रोगन कर तोरण पटाखे व विविध प्रकार से सजाकर बच्चे बूढ़े व जवान सभी विवाह के रंग में रंग कर इस शादी में शरीक हुए थे और लोगों के इस उम्मीद को आस्था कहें या महज़ संयोग जैसे ही रविवार की शाम मेंढ़क मेढ़की का विवाह उत्सव संपन्न हुआ बारिश की कुछ बंदे मानो लोगों की आस्था को फलीभूत करते हुए गांव पर बेहद कम मात्रा में ही लेकिन धरती के प्यास को बुझाने के लिए टपकने लगी इस तरह जिस उम्मीद के तहत् मेंढ़क मेढ़की का विवाह प्रस्तावित हुआ था वह सफल पूर्वक समाप्त हुआ।

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