ममता और पवार को बड़ा झटका, TMC, NCP और CPI अब राष्ट्रीय पार्टियां नहीं, AAP को मिली बड़ी बढ़त

Chhattisgarh Crimes

नई दिल्ली। ममता बनर्जी और शरद पवार समेत कई नेताओं और राजनीतिक पार्टियों को चुनाव आयोग से बड़ा झटका लगा है, वहीं अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। दरअसल चुनाव आयोग ने तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, सीपीआई और एआईटीसी से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया है। वहीं अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया है। एनसीपी और एआईटीसी को नागालैंड और मेघालय में राज्य दलों के रूप में मान्यता दी जाएगी।

कुछ पार्टियों को मिली मान्यता, कुछ पर हुई कार्रवाई

इसके अलावा लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को नागालैंड में एक राज्य पार्टी के रूप में मान्यता मिली है और टिपरा मोथा पार्टी को त्रिपुरा में एक राज्य पार्टी के रूप में मान्यता मिली है। वहीं BRS को आंध्र प्रदेश में एक राज्य पार्टी के रूप में अमान्य किया गया है।

इसके अलावा चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश में RLD का एक राज्य पार्टी का दर्जा वापस ले लिया है। रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी को पश्चिम बंगाल में एक राज्य पार्टी के रूप में अमान्य किया गया है। मेघालय में वॉइस ऑफ द पीपुल पार्टी को राज्य स्तरीय पार्टी के रूप में मान्यता मिली है।

क्यों छिना TMC, NCP और CPI का नेशनल पार्टी का दर्जा

तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी और सीपीआई से चुनाव आयोग ने नेशनल पार्टी का दर्जा वापस लिया है। इसके पीछे की वजह ये है कि देशभर में इन तीनों पार्टियों का वोट शेयर 6 प्रतिशत से कम हो गया है। इससे पहले बहुजन समाज पार्टी के साथ भी ऐसा हो चुका है और उसका भी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया गया था।

वहीं आम आदमी पार्टी इसलिए राष्ट्रीय पार्टी बन गई क्योंकि उसे ऐसा मुकाम पाने के लिए केवल 6 फीसदी वोट शेयर की जरूरत थी, फिर चाहें वो गुजरात के चुनाव में मिलता या फिर हिमाचल प्रदेश के चुनाव में। हालांकि आप को 13 फीसदी वोट शेयर केवल गुजरात में ही मिल गया और वह राष्ट्रीय पार्टी बन गई।

राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए क्या होना जरूरी है?

किसी भी राजनीतिक पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का तमगा हासिल करने के लिए लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में 6% वोट हासिल करना जरूरी है। इसके अलावा एक तरीका ये भी है कि राजनीतिक पार्टी को लोकसभा की कुल सीटों में से 2 फीसदी सीटें कम से कम तीन राज्यों से मिली हों। या फिर पार्टी को चार राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा मिल गया हो। इन तीनों में से कोई भी एक शर्त पूरी करने पर राजनीतिक दल को राष्ट्रीय दल का दर्जा मिल जाता है।

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