
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर बैंक गांरटी नहीं लेने का आदेश दिया था। मामले की अगली सुनवाई 4 जनवरी को होगी। प्राइवेट मेडिकल कॉलेज संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलते ही अगली सुनवाई से पहले बैंक गारंटी जमा कराने के लिए अभिभावकों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
राजस्थान हाईकोर्ट ने दीपेश सिंह बेनीवाल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 17 दिसम्बर को बैंक गांरटी नहीं लेने का आदेश जारी किया था। इस पर प्राइवेट मेडिकल कॉलेज संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश इंदिरा बैनर्जी व न्यायाधीश हेमंत गुप्ता की खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई। खंडपीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने व सभी सम्बन्धित पक्षों को नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई तिथि 4 जनवरी तय कर दी।
राजस्थान के सभी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस स्टूडेंट्स पर दबाव बनाते हैं कि वो एक साल की फीस के साथ ही साढ़े तीन साल की बैंक गारंटी जमा करावें। यह बैंक गारंटी सभी कॉलेजों की फीस के अनुसार है, जो न्यूनतम 52.50 लाख रुपए हैं। बैंक गारंटी से परेशान अभिभावक कॉलेज को एक से दो साल की फीस एडवांस में जमा कराते हैं, जिसे कॉलेज अंतिम वर्ष में समायोजित करते हैं और उस पर किसी तरह का कोई ब्याज भी नहीं देते। जोधपुर के अधिवक्ता दीपेश बेनीवाल ने राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में जनहित याचिका दायर की थी।
इस याचिका में कहा गया कि बच्चों के अभिभावकों पर बैंक गारंटी से अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ता है। इस पर अदालत ने बैंक गारंटी नहीं लेने के आदेश करते हुए आठ जनवरी तक जवाब देने के लिए सभी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज को नोटिस जारी किए थे। इस पर सभी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से रोक लगाए जाने के साथ ही प्राइवेट मेडिकल कॉलेज संचालकों ने अभिभावकों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। कॉलेज ने फोन करके कहा कि फैसला उनके पक्ष में हो गया है, इसलिए जल्द से जल्द बैंक गारंटी जमा करावें।