रायपुर। छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स में शराब की लत छुड़ाने के लिए बड़ी मुहिम शुरू की गई है। इसके अंतर्गत सभी बटालियन के कमांडेंट से शराब पीने वालों की सूची मांगी गई है। पुलिस मुख्यालय में पदस्थ आर्म्ड फोर्स के डीआईजी ने सभी कमांडेंट, एसटीएफ के एसपी, जंगलवार फेयर कॉलेज के कमांडेंट और पुलिस ट्रेनिंग स्कूल से बहुत ज्यादा शराब पीने वाले या शराब पीने के आदी जवानों की जानकारी मंगाई है। हालांकि सामान्य तौर पर सेना या पुलिस के अफसर-जवान थोड़ी मात्रा में शराब पीते हैं। उन्हें कैंटीन से सब्सिडी में शराब भी दी जाती है। यह मुहिम उन जवानों या अफसरों के लिए है, जो ज्यादा ही पीते हैं या जिन्हें लत हो गई है। दरअसल, इस मुहिम के पीछे डीजीपी डीएम अवस्थी की पहल जुड़ी हुई है। हाल ही में सेनानी सम्मेलन में डीजीपी ने शराब की लत छुड़ाने के लिए विशेष कैम्प लगाने की बात कही थी, जिससे जवानों की शराब की लत छुड़ाई जा सके और उन्हें व परिवार को बचाया जा सके।
पहले स्वास्थ्य फिर जीवन के लिए खतरनाक
नक्सल मोर्चे पर सुदूर जंगल में तैनात बड़ी संख्या में जवान ऐसे भी हैं, जो तनाव की वजह से पीने लगते हैं। कई बार ऐसी घटनाएं भी सामने आई हैं, जब जवान ने अपने साथियों पर ही फायरिंग की है। नशे की हालत में खुद पर गोली चलाकर आत्महत्या कर ली है। लंबे समय से नक्सल क्षेत्र में रहने और ट्रांसफर नहीं होने के तनाव को दूर करने डीजीपी ने स्पंदन कार्यक्रम शुरू किया है। इसमें जो पात्र हैं या पारिवारिक परिस्थितियों के मद्देनजर कुछ के ही तबादले या अटैचमेंट किए जा सकते हैं। शराब की वजह से कामकाज में भी प्रभाव पड़ता है। तोंद बाहर आ जाती है या ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मरीज हो जाते हैं। ऐसे में नक्सलियों के खिलाफ आर-पार की लड़ाई में हिस्सा लेने में खतरा बढ़ जाता है। इस मुहिम के जरिए ऐसी समस्याओं का हल निकालने की कोशिश की जाएगी।