हाई कोर्ट में बिलासपुर शहर में बंद पड़ी सिटी बस सेवा को लेकर सुनवाई हुई

Chhattisgarh Crimesहाई कोर्ट में बिलासपुर शहर में बंद पड़ी सिटी बस सेवा को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान परिवहन सचिव सह आयुक्त एस. प्रकाश भी मौजूद रहे। सीजे रमेश सिन्हा की बेंच ने उनसे पूछा कि शपथ पत्र में क्यों कहा गया कि 6 में से 5 सिटी बसें चालू हो गई हैं और एक जल्द चलने लगेगी? इस पर अधिकारियों ने बताया कि नगर निगम से मिली जानकारी के आधार पर शपथ पत्र दिया गया था।

जब हाई कोर्ट ने अन्य जिलों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की समस्या पर सवाल किया, तो राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि वैकल्पिक व्यवस्था जल्द शुरू होगी। मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।

हाई कोर्ट में सुनवाई को लेकर भास्कर ने प्रदेश में चल रही सिटी बसों खासकर राजधानी रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई में सिटी बस सेवा क्यों ढंग से नहीं चल पा रही है, इस बारे में जाना तो कई बातें सामने आई। चारों शहरों में एक बात कॉमन निकली कि इन शहरों में कोरोना के दौरान बसें खड़ी होकर कबाड़ हो गईं।

दोबारा वे चलने लायक नहीं बचीं। कुछ चलने लायक थीं, तो मेंटनेंस के कारण कंडम होती गईं। हालत ये है कि रायपुर में महज 25-30 बसें ही चल रही हैं। बिलासपुर अब 5 ही बची हैं। हाल दुर्ग-भिलाई में तो सिटी बस लगभग बंद हो चुकी है। चारों शहरों में 10 साल पहले 187 बसें चलती थीं।

आज 35 बसें ही चल रही हैं। दो साल से केंद्र की ई-बस योजना के तहत मिलने वाली 100 ई-बसों का इंतजार किया जा रहा है। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग मिलाकर पूरे छत्तीसगढ़ को 240 बसें मिलनी है।

रायपुर: पुरानी हो गईं कंडम, ई-बसें अब तक नहीं आईं

रायपुर शहर में कोरोना के बाद सिटी बस की सुविधा आखिरी सांसें ले रही है। अब 25 से 30 सिटी बसें ही चल रही हैं। वो भी चार-पांच रूट्स पर। एक से डेढ़ घंटे के अंतराल में। वैसे 2008 से रायपुर में सिटी बस सेवा शुरू हुई। तब से अब तक तीन योजनाओं में शहर के लिए करीब 45 करोड़ से 235 बसें खरीदी गईं। 17 साल में 199 बसें कंडम हो गईं।

अब महज 36 बसें हैं। कोरोना से पहले समिति के पास करीब 67 बसें थीं। रायपुर में सिटी बसों के संचालन के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में शहरी सार्वजनिक यातायात समिति बनाई गई है। इसे अब केंद्र सरकार से मिलने वाली 100 ई-बसों का इंतजार है। निगम कमिश्नर और समिति के सचिव विश्वदीप ने कहा कि केंद्र से अक्टूबर-नवंबर तक बसें पहुंचने पर ई-बसें का भी संचालन शुरू किया जाएगा।

बिलासपुर: मरम्मत पर 2.5 करोड़ खर्च, बसें हुई कबाड़

दो साल यानी 2023 से 2025 तक सिटी बसों के रिपेयर में ठेका कंपनी सन मेगा वेंचर ढाई करोड़ खर्च कर चुकी है। पर बसों की हालत में सुधार नहीं है। ठेका कंपनी को हर माह प्रति बस 2500 रुपए देना है, लेकिन कंपनी निगम को पेमेंट नहीं कर पा रही है। 10 साल साल पहले 50 सिटी बसें 10 रूटों पर चलती थीं।

तब इसका संचालन बेंगलुरु की कंपनी दुर्गांबा कर रही थी, लेकिन कोरोना में डिपो में बसें कबाड़ ​हो गई। 2023 में निगम ने नया टेंडर किया, तब 40 बसें चलने लायक थीं, लेकिन आज सभी खराब हो चुकी हैं। निगम के अफसरों का कहना है कि 10 साल तक बसें फिट रहती हैं। ऐसे में नई बसें चलने से ही राहत मिलेगी। बताया गया है कि ।शहर में ठप पड़ी सिटी बस सेवा को फिर से पटरी पर लाने सूडा ने 3 बसों की रिपेयरिंग के लिए 12.55 लाख रुपए मंजूरी दी है।

भिलाई: 70 बसें रखी-रखी कबाड़, नीलाम होंगी |

दुर्ग जिले में सिटी बस शुरू करने के लिए 2015 में 70 बसें 20 करोड़ में खरीदी गई थीं। इसे चलाने का ठेका एक प्राइवेट एजेंसी को दिया था। कोविड में नुकसान हुआ तो एजेंसी भाग गई। इसके बाद ज्यादातर बसें भिलाई निगम के डिपो में कंडम हो गई। नवंबर 2022 में रिलायंस एजेंसी को 2000 रुपए महीने किराए पर फिर ठेका दिया गया। फिटनेस और परमिट न मिलने से कुछ बसें कुछ दिन चलाई गई और बाद में उन्हें कंडम हालत में छोड़ दिया गया। 40 बसें के पहिए तक नहीं हैं। 30 बसों के तो इंजन सहित अंदर का पूरा सामान गायब है।

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