राधेश्याम को वर्ष 2013 में हत्या के मामले में दोषी पाया गया था। उसे धारा 302 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। जेल प्रशासन के अनुसार, राधेश्याम लंबे समय से उच्च रक्तचाप और मानसिक बीमारी से पीड़ित था।
इलाज के दौरान कैदी की मौत
उसकी तबीयत बिगड़ने पर उसे जिला अस्पताल दुर्ग में भर्ती कराया गया। वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस और जेल प्रशासन ने घटनास्थल पर पहुंचकर पंचनामा की कार्रवाई की। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। घटना की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को प्रेषित कर दी गई है।