रायपुर मशरूम फैक्ट्री बंधक केस में पुलिस ने अब तक कोई FIR दर्ज नहीं की

Chhattisgarh Crimesरायपुर मशरूम फैक्ट्री बंधक केस में पुलिस ने अब तक कोई FIR दर्ज नहीं की है। SSP डॉ लाल उमेद सिंह का कहना है कि इस मामले में श्रम विभाग की ओर से रिपोर्ट आने के बाद पुलिस एक्शन लेगी।

वहीं बंधक बनाए गए 97 मजदूरों ने बाहर आकर फैक्ट्री के अंदर हो रहे क्रूरता के किस्से बताएं। इसकी असलियत जानने भास्कर की टीम खरोरा के मोजो मशरूम फैक्ट्री पहुंची।

दरवाजा में ताला, 12 फीट ऊंची दीवार दिखी-

खरोरा के उमाश्री राइस मिल कैंपस के अंदर मोजो मशरूम फैक्ट्री भी संचालित होती है। मजदूरों का कहना था कि उन्हें फैक्ट्री के मुख्य दरवाजे तक के आने की भी इजाजत नहीं थी। वहां पर ताला लगा रहता था। वे यहां से जैसे तैसे बाहर निकले। फिर पुलिस के पास पहुंचे थे।

मजदूरों के दावा मुताबिक, ग्राउंड जीरो में खरोरा मुख्य सड़क से लगी फैक्ट्री की दीवारें करीब 12 फीट ऊंची है। जिससे बाहर से अंदर की ओर कुछ नहीं दिखाई देता हैं। न ही कोई अंदर बाहर आसानी से आ जा सकता हैं।

फैक्ट्री के मुख्य गेट पर ताला लगा था। जहां गार्ड तैनात था। जब गार्ड से अंदर जाने के लिए पूछा गया तो उनसे अंदर जाना तो दूर बातचीत करने से भी साफ मना कर दिया।

फैक्ट्री से कई बार आती है मारपीट की आवाज-

मजदूरों का कहना था कि रात 2 बजे नींद से उठाकर उन्हें काम करवाया जाता था। काम नहीं करने पर बेरहमी से मारपीट की जाती थी। मजदूरों के इन दावों के बारे में आसपास के लोगों से बातचीत की गई। फैक्ट्री के सामने कई ठेले गुमटी और दुकानें हैं।

नाम न बताने की शर्त पर एक महिला ने बताया कि कई बार फैक्ट्री के अंदर से मारपीट की आवाजें आती है। जिससे आसपास का माहौल खराब रहता है। ठेकेदार मजदूरों से सख्ती बरतता है।

मजदूरों ने यह भी बताया था कि फैक्ट्री के अंदर-बाहरी और स्थानीय दो प्रकार के मजदूर रहते हैं। बाहरी मजदूरों को बाहर आने की अनुमति नहीं थी। लेकिन स्थानीय मजदूर अपने गांव से आना-जाना करते थे। आसपास के लोगों ने भी इस बात की पुष्टि की।

हफ्तेभर पहले हो चुकी थी पुलिस से शिकायत-

फैक्ट्री में प्रताड़ना से तंग आकर कुछ मजदूर 2 जुलाई 2025 को रात 10 बजे फैक्ट्री से निकल भागे। वे भाटागांव के बस स्टैंड पहुंचे जहां कुछ लोगों ने उनकी मदद की। 3 जुलाई को मजदूरों ने रायपुर SSP कार्यालय में शिकायत कर अन्य मजदूरों को बंधक से छुड़वाने की बात की।

साथ ही फैक्ट्री संचालक पर एक्शन लेने की मांग की। इसके बावजूद फैक्ट्री पर 7 दिन बाद रेड मारा गया। जिसमें 97 मजदूरों को रेस्क्यू किया गया। इन मजदूरों में करीब 20 नाबालिग बच्चे अलग थे।

हालांकि पुलिस का कहना है कि उन्हें किसी प्रकार की शिकायत नहीं मिली है। जिस वजह से अब तक FIR दर्ज नहीं की गई। SSP के मुताबिक, बाल श्रम आयोग की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मामले में कार्रवाई की जायेगी।

मजदूरों ने कहा तनख्वाह नहीं दी-

मजदूरों का कहना था कि उन्हें 5 महीने की तनख्वाह नहीं दी गई। मजदूरों को जब रेस्क्यू करके महिला एवं बाल विकास विभाग ने बूढ़ातालाब के इंडोर स्टेडियम लाए। उस दौरान फैक्ट्री जुड़ा एक व्यक्ति भी स्टेडियम के भीतर मौजूद था। जो मजदूरों का हिसाब-किताब कर उन्हें पैसे बांट रहा था। मीडिया के सामने उसने पैसे को फौरन वापस रख लिया।

फिर बाद में मजदूरों को ट्रेन का टिकट देकर वापस उत्तरप्रदेश और अन्य राज्य रवाना कर दिया गया। जिससे कि मामले को रफा-दफा किया जा सके।

गांव में फैक्ट्री को लेकर असंतोष-

मोजो मशरूम फैक्ट्री खरोरा के पिकरीडीह गांव में हैं। मजदूरों को बंधक बनाकर अत्याचार का मामला उजागर होने के बाद स्थानीय लोगों के साथ छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने फैक्ट्री के सामने प्रदर्शन किया।

इन लोगों का कहना है कि फैक्ट्री में मजदूरों की शोषण से जुड़ी पहले भी कई शिकायतें आईं हैं। लेकिन प्रशासन ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया।

फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ सख्त एक्शन की मांग

इसके अलावा फैक्ट्री प्रबंधन यहां से निकलने वाला कचरे को गांव के ही पास जमीन में डंप करता है। जिससे आसपास दुर्गंध फैली रहती है। इसे लेकर भी कई बार विरोध किया गया लेकिन सुनवाई नहीं हुईं।

स्थानीय लोगों की मांग है कि फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ सख्त एक्शन होना चाहिए। वही इस पड़ताल के दौरान फैक्ट्री प्रबंधन से बातचीत करने की कोशिश की गई। लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं आया।

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