अस्पताल में इलाज कराने झिझक रहा था
मृतक के भाई धरमराज ध्रुव ने बताया कि पुरुषोत्तम को पाइल्स की परेशानी थी और वह अस्पताल जाकर इलाज कराने से झिझक कर रहा था। ऐसे में पंपलेट के जरिए संपर्क में आए दोनों झोलाछाप डॉक्टरों ने इलाज का भरोसा दिलाया। 20 अगस्त से इलाज शुरू हुआ, जिसकी कीमत 30 हजार रुपए तय की गई।
शुरुआती दो दिन में 20 हजार रुपए नकद ले भी लिए गए थे। 23 अगस्त को जब एक बार फिर इलाज किया जा रहा था, तब दोनों डॉक्टरों ने परिजनों को कमरे से बाहर निकाल दिया और कहा कि इंजेक्शन लगाया गया है, मरीज आराम कर रहा है। इसके बाद उन्होंने बाकी 10 हजार की मांग की और फिर चुपचाप भाग निकले। खून से लथपथ मिला शव
डॉक्टरों के भागने पर पुरुषोत्तम की बेटी लालिमा को शक हुआ। जब वह कमरे में गई, तो पिता को खून से लथपथ हालत में तड़पता देखा। परिजन उसे फौरन जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
लापरवाही से हुई मौत
जिला अस्पताल के अटेंडिंग डॉक्टर हरीश चौहान ने बताया कि मलद्वार (गुदा) के पास बिना किसी चिकित्सा सावधानी के चीराघात किया गया था। नस कटने के कारण अत्यधिक रक्तस्राव हुआ, जिससे पीड़ित की मौत हो गई।
आदिवासी समाज में आक्रोश, मुआवजा और FIR की मांग
घटना के बाद आदिवासी विकास परिषद और जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे। परिषद के प्रतिनिधियों उमेंदी कोर्राम और लोकेश्वरी नेताम ने इसे गंभीर लापरवाही बताते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई और पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की है।