दीपावली पर ही जताया था दर्द
परिवार और दोस्तों के मुताबिक, पिछले साल दीपावली पर घर जाते समय उसने अपनी आलमारी बेच दी थी और कहा था- “अब मैं यहां नहीं आऊंगा, पढ़ाई नहीं हो पा रही है।” हालांकि घरवालों ने उसे समझाया कि एमबीबीएस का मौका आसानी से नहीं मिलता, मेहनत कर लो तो जिंदगी बन जाएगी। इसी वजह से वह दोबारा कॉलेज लौट आया था।
दोस्तों ने बताया- अकेले रहते थे, बेचैन थे
सहपाठियों का कहना है कि घटना की रात वे गणेश जी का प्रसाद देने उसके कमरे पहुंचे थे। उस समय ज्ञानेन्द्र अकेले पढ़ाई कर रहा था और काफी बेचैन नजर आ रहा था। कॉलेज के दो साथी जहां फाइनल ईयर में पहुंच चुके थे, वहीं वह अब भी पहले वर्ष में फंसा हुआ था। इसी वजह से वह दोस्तों से कट गया था।
परिवार का बयान
भाई सतेंद्र मिश्रा ने बताया कि ज्ञानेन्द्र तीन साल से लगातार बैक की वजह से परेशान था, लेकिन मां और परिवार ने कभी उस पर दबाव नहीं बनाया। हमेशा उसे मोटिवेट किया कि पढ़ाई जारी रखे। इसके बावजूद वह हताश हो गया।